जैविक विविधता: महत्व, प्रकार, संरक्षण और संरक्षण कार्यकारिणी के पूर्ण ज्ञान

जैविक विविधता क्या है 

 
जैविक विविधता एक प्राकृतिक संसाधन है जो पृथ्वी पर पाया जाता है और जिवित प्राणियों, पौधों और माइक्रो-ऑर्गेनिज्मों की अद्वितीयता और विविधता को संकेत करता है। यह भूमि, समुद्र, वायुमंडल और अन्य पर्यावरणीय आवासों में पाया जाता है। जैविक विविधता के तहत जीवन के विभिन्न रूप, संयोजन, विभाजन और आचरण का अध्ययन किया जाता है।
यह जीवन की विविधता संकेत करता है, जहां हर जीव का अपना विशेषता और कार्य होता है। जैविक विविधता जीवन की प्राकृतिक समृद्धता है, जिसमें अद्वितीय और सुंदर प्राणी, पौधे और अन्य जीवों की विशेषताएं शामिल होती हैं। यह विविधता जीवन के विभिन्न प्रकार और जीवनयापन के लिए आवश्यकता पूर्ण संक्रमण, अन्यों के साथ संबंध और पर्यावरण के साथ संघर्ष को भी शामिल करती है।
जैविक विविधता पृथ्वी के विभिन्न भू-भागों में अलग-अलग प्रदेशों में विशेष रूप से पायी जाती है। यह संसाधनों की प्राकृतिक प्रकृति के रूप में मनुष्यों के लिए महत्वपूर्ण है, जो इन संसाधनों का उपयोग खाद्य, औषधीय और औद्योगिक उत्पादों, इतिहास, सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व के लिए करते हैं।
जैविक विविधता की हिफाजत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसकी रक्षा न केवल प्राकृतिक संतुलन को सुरक्षित रखती है, बल्कि मानव समाज के लिए भी उपयोगी संसाधनों की उपलब्धता और लाभ की सुनिश्चितता करती है। जैविक विविधता की संरक्षण और सुरक्षा के लिए विभिन्न प्रयासों की जाती है, जैसे कि प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्रों का स्थापना, जैव संपदा के संरक्षण के लिए कड़ी कानूनी प्रतिबद्धता, जीव-संवर्धन और जीवित प्रणालियों के पुनर्स्थापना के लिए अनुसंधान और प्रयास।
  

अनुवांशिक विविधता 

 
अनुवांशिक विविधता, या जेनेटिक विविधता, एक बायोलॉजिकल प्रक्रिया है जिसके माध्यम से जीवों में विभिन्न आनुवंशिक विशेषताएं विद्यमान होती हैं। यह विविधता उन विशेषताओं के विज्ञानिक अध्ययन पर आधारित होती है जो जीव जगत में उपस्थित आनुवंशिक संरचनाओं और विकास के लिए जिम्मेदार हैं।
जीवों के अनुवांशिक विशेषताओं का मूल तत्व उनके जीनों में स्थित होता है, जो उनकी आनुवंशिक सूत्रों को नियंत्रित करते हैं। जीन एक अधिकारिक शब्द है जो जीवों के आनुवंशिक विशेषताओं को प्रतिस्थापित करने वाले उनके जीनोम में स्थित नुकलेओटाइड श्रृंखलाओं को संकेतित करता है। जीनोम संगठित रूप से सभी जीनों का समूह होता है जो एक जीव में पाया जाता है।
जेनेटिक विविधता में, जीनों में होने वाले परिवर्तन और म्यूटेशन के कारण जीवों के बीच विभिन्न आनुवंशिक विशेषताएं उत्पन्न होती हैं। यह प्रकृति में जीवजगत की विविधता का मुख्य स्रोत है। यहां एक महत्वपूर्ण बिंदु है कि जेनेटिक विविधता में होने वाले परिवर्तन निश्चित रूप से संभवतः पीढ़ी द्वारा आनुवंशिक रूप से साझा किए जा सकते हैं, जो नई पीढ़ियों के लिए विकास का स्रोत बनते हैं।
अनुवांशिक विविधता का महत्व विज्ञान, प्राकृतिक संरक्षण, कृषि, पशुपालन, मानव स्वास्थ्य और बायोटेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में होता है। इसका अध्ययन हमें अनुवांशिक रोगों, जीवन की प्रकृति के साथ संबंधित गुण, प्रजनन विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी के लिए महत्वपूर्ण ज्ञान प्रदान करता है।
  

स्पीशीज विविधता 

 
स्पीशीज विविधता, जिसे अंग्रेजी में "species diversity" कहा जाता है, विभिन्न प्रकार की जीवजगत की विशेषता है जो किसी निर्दिष्ट इलाके या परिसर में मौजूद विभिन्न प्रजातियों की संख्या और प्रतिस्थापनात्मक संरचना को संकेत करती है।
स्पीशीज विविधता में, एक स्थान में पाए जाने वाली अलग-अलग प्रजातियों की संख्या और उनकी सामूहिक प्रमुखताएं मापती है। यह प्रजातियाँ पारिस्थितिकी, जीववैज्ञानिक, जनसंख्या एकोलोजी और प्रजाति अध्ययन के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है।
स्पीशीज विविधता मानवीय महत्वपूर्णता रखती है, क्योंकि विभिन्न प्रजातियाँ पर्यावरणीय सेवाएं प्रदान करती हैं और पृथ्वी के जीवन धारण को सुनिश्चित करती हैं। इसके अलावा, स्पीशीज विविधता सांस्कृतिक, आर्थिक और जैवविविधता के साथ भी संबंधित है।
स्पीशीज विविधता की संरक्षण और संवर्धन के लिए विभिन्न प्रयासों की जाती है, जैसे कि प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्रों का स्थापना, प्रजाति संरक्षण के लिए संरचनात्मक उपायों का अनुसंधान और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए कानूनी माध्यमों का उपयोग।
  

पारितंत्रिय विविधता 

 
पारितंत्रिय विविधता (ecological diversity) एक प्रकार की जैविक विविधता है जो किसी निश्चित परिसर या जीवाश्रय में मौजूद विभिन्न पारिस्थितिकी प्रदान करने वाले तत्वों और प्रक्रियाओं को संकेत करती है। यह विविधता एक परिसर में संभवतः पाए जाने वाले वनस्पतियों, पशुओं, कीटों, माइक्रोऑर्गेनिज्मों, जलजीवों, मौसम प्रकृति, जलवायु, भूमि आदि के संबंध में विविधता की माप होती है।
पारितंत्रिय विविधता में, परिस्थितिकी और जीवविज्ञान के तत्वों के आधार पर विभिन्न संबंध और सम्बन्ध बनाए जाते हैं। यह विविधता जीव जगत के अंतरंग प्रणालियों के बीच संतुलन को सुनिश्चित करती है और प्राकृतिक प्रक्रियाओं, खाद्य श्रृंखलाओं, पोषण श्रृंखलाओं, जैवसंयंत्रों, जीव-संबंधी सामुदायिकता और अन्य एकोलॉजिक विशेषताओं को संभालती है।
पारितंत्रिय विविधता का महत्व वनस्पति विज्ञान, पारिस्थितिकी विज्ञान, भूगर्भविज्ञान, वन्यजीव विज्ञान, प्राकृतिक संरक्षण, जलवायु अनुकूलता, जैवसंयंत्र विज्ञान, जीवाश्म प्रबंधन, जीव संबंधी और सामुदायिक विकास क्षेत्रों में होता है। इसका अध्ययन हमें प्रकृति के विभिन्न प्रणालियों, पारिस्थितिकी प्रक्रियाओं, और जीव-संबंधी संघटनों की समझ में मदद करता है और इससे प्राकृतिक संसाधनों के संचालन, प्रबंधन और संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए उपयोगी निर्देशांक प्राप्त होते हैं।
  

जैवविविधता के हॉट स्पॉट 

 
जैवविविधता के हॉट स्पॉट (hotspots of biodiversity) विश्व भर में विशेष महत्वपूर्ण इलाके हैं जहां बहुत अधिक जैवविविधता मौजूद होती है। ये स्पॉट्स ऐसे भू-क्षेत्र होते हैं जहां विभिन्न प्रजातियों का संग्रह होता है और आपूर्ति क्षेत्रों के रूप में माने जाते हैं। ये हॉट स्पॉट्स आमतौर पर वन्यजीवों, पशुओं, पक्षियों, पादपों, कीटों और अन्य संगठनित जीवों के लिए महत्वपूर्ण संरक्षण क्षेत्र के रूप में मान्यता प्राप्त करते हैं।
जैवविविधता के हॉट स्पॉट्स के चुनाव में विभिन्न मापदंड उपयोग किए जाते हैं, जैसे कि प्रजाति की विविधता, संख्या, प्रजनन क्षमता, आवास सुविधा, प्राकृतिक संरचना, पर्यावरणीय संबंध, आदि।
कुछ मशहूर जैवविविधता हॉट स्पॉट्स निम्नलिखित हैं:
मध्य अमेज़न बेसिन: दक्षिण अमेरिका में स्थित, वन्यजीव और वन्यप्राणियों के लिए महत्वपूर्ण।
कॉरल रीफ: समुद्री जीवों के लिए महत्वपूर्ण संरक्षण क्षेत्र, जो समुद्री जैविक विविधता का घर है।
वेस्टर्न घाट: भारत में स्थित, वन्यजीव और पादपी संगठन का विशाल संग्रह।
काजिरंगा नेशनल पार्क: भारत-भूटान सीमा के पास स्थित, एक हॉटस्पॉट जहां अभयारण्य विस्तृत संख्या में पाये जाते हैं।
मेसो अमेरिकन कॉरीडोर: दक्षिण अमेरिका में स्थित, वन्यजीव और वन्यप्राणियों के लिए महत्वपूर्ण।
ये हैं कुछ उदाहरण जैवविविधता के हॉट स्पॉट्स के जो पृथ्वी पर अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन स्थानों की संरक्षण और संवर्धन के लिए विभिन्न अभियान और पहल की जाती है ताकि हम इस अनमोल जीवविविधता को सुरक्षित रख सकें।
  

जैविक विविधता क्यों महत्वपूर्ण हैं 

 
जैविक विविधता महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पृथ्वी पर जीवन की आधारशिला है और हमारे जीवन के लिए अनमोल संसाधनों का खजाना है। यहाँ कुछ मुख्य कारण दिए गए हैं जो जैविक विविधता के महत्व को समझाने में मदद कर सकते हैं:
पोषण के स्रोत: जैविक विविधता हमें विभिन्न प्रकार के खाद्य, औषधीय पौधों, और पोषण संबंधी आदान-प्रदान के स्रोत प्रदान करती है। यह हमारे आहार, औषधीय उपचार, और पोषण की आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करती है।
पर्यावरणीय सेवाएं: जैविक विविधता पर्यावरणीय सेवाओं को प्रदान करती है जैसे कि वन्यजीवों के द्वारा बाढ़, मृदा निर्वाह, जल संचयन, जलप्रवाह नियंत्रण, वायुमंडलीय संतुलन, और जलवायु नियंत्रण आदि। ये सेवाएं पृथ्वी के जलवायु और आबादी के लिए महत्वपूर्ण हैं।
जैव उपचार: जैविक विविधता हमें नये औषधीय तत्वों और उपचार विकसित करने में मदद करती है। यह बीमारियों के इलाज में आवश्यक मेडिकल अवधारणाओं का जन्मस्थान हो सकती है और मानव स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर सकती है।
पारिस्थितिकी संतुलन: जैविक विविधता पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखने में मदद करती है। यह अक्सर जीव-संबंधी प्रक्रियाओं, जैवसंयंत्रों, और वन्यजीवों के बीच संघटित तरीके से निरंतर प्रवाहित होती है। यह प्राकृतिक आपदाओं, जैविक प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण को सुनिश्चित करने में मदद करती है।
सामुदायिक और मानसिक महत्व: जैविक विविधता सामुदायिक संबंधों और स्थानीय जीवन के लिए महत्वपूर्ण होती है। यह स्थानीय आदिवासी समुदायों, ग्रामीण समुदायों और संगठनों के लिए स्थानीय पहचान और विकास का स्रोत भी हो सकती है।
इन कारणों से, जैविक विविधता हमारे वनस्पति, पशु, पक्षी, कीट, माइक्रोऑर्गेनिज्म्स, और उनके संगठनों के संरक्षण, संवर्धन, और संचालन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसका संरक्षण और संवर्धन हमारी जिम्मेदारी है ताकि हम स्थायी और सुस्त विकास के साथ इस प्राकृतिक धरोहर का आनंद ले सकें।
  

जैविक विविधता का मूल्य 

 
जैविक विविधता का मूल्य अत्यंत महत्वपूर्ण है, और इसके कई महत्वपूर्ण मूल्य हैं। यहां कुछ महत्वपूर्ण मूल्यों को समझाया गया है:

आवास के मूल्य: 

जैविक विविधता का मूल्य इस बात का उद्भव करता है कि यह वनस्पतियों, पशुओं, पक्षियों, जीवों और माइक्रोऑर्गेनिज्म्स के आवास के रूप में सेवा करता है। यह जीवन के लिए स्थायी और सुरक्षित आवास प्रदान करने में मदद करता है और इसलिए प्राकृतिक वातावरण के आधार का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

पोषण के मूल्य: 

जैविक विविधता हमें विभिन्न प्रकार के खाद्य, औषधीय पौधों, और अन्य पोषण संबंधी आवश्यकताओं के स्रोत प्रदान करती है। यह हमारे आहार और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है और इसके बिना हमारा जीवन संभव नहीं हो सकता।

पारिस्थितिकी सेवा के मूल्य:

 जैविक विविधता पारिस्थितिकी सेवाओं को प्रदान करती है जैसे कि वन्यजीवों के द्वारा बाढ़, मृदा निर्वाह, जल संचयन, जलप्रवाह नियंत्रण, वायुमंडलीय संतुलन, और जलवायु नियंत्रण आदि। ये सेवाएं पृथ्वी के जलवायु और आबादी के लिए महत्वपूर्ण हैं और हमारी पारिस्थितिकी संतुलन को सुनिश्चित करने में मदद करती हैं।

वैज्ञानिक मूल्य: 

जैविक विविधता हमें नये और अद्भुत जैव-विज्ञानिक ज्ञान का संचार करती है। यह वैज्ञानिक अन्वेषण और अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण संसाधनों का स्रोत है और विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए उत्पादों और तकनीकों का विकास संभव बनाती है।

सामुदायिक और सांस्कृतिक मूल्य: 

जैविक विविधता स्थानीय सामुदायिक और सांस्कृतिक मूल्य का संरक्षक होती है। यह स्थानीय आदिवासी समुदायों, ग्रामीण समुदायों और संगठनों के लिए स्थानीय पहचान और समृद्धि का स्रोत होती है। इसके साथ ही, जैविक विविधता संगीत, कला, वास्तुकला और उपन्यासों जैसी सांस्कृतिक विरासत के लिए भी महत्वपूर्ण है।
इस प्रकार, जैविक विविधता का मूल्य विभिन्न आयामों में मान्यता और महत्वपूर्णता रखता है और हमारे प्रकृति और मानवीय कल्याण के लिए अद्वितीय है।
  

परितंत्र सेवाएं 

 
परितंत्र सेवाएं जैविक विविधता के संरक्षण और संवर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन सेवाओं का उदाहरण निम्नलिखित है:

जीव-संरक्षण: 

परितंत्र सेवाएं वन्यजीव संरक्षण, पशु-पक्षी संरक्षण, और प्राणी संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण होती हैं। इन सेवाओं के जरिए, प्राकृतिक जीवों की संरक्षा, उनके आवास की सुरक्षा, उनके प्रजनन के जीवन चक्र का संचालन और उनके बाहरी ध्रुवीकरण का ध्यान रखा जाता है। यह हमारे पर्यावरण की संतुलन की सुरक्षा में मदद करता है और वन्यजीवों के बारे में नए वैज्ञानिक ज्ञान को संचारित करता है।

जैवसंयंत्र संरक्षण: 

परितंत्र सेवाएं जैवसंयंत्रों की संरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये सेवाएं बागवानी, पौधों की बीजरक्षा, प्रजाति संरक्षण कार्यक्रम, वाणिज्यिक पेड़-पौधों के प्रबंधन, औषधीय पौधों की संरक्षा और तकनीकी का विकास जैसे कार्यों में सम्पर्कित होती हैं। यह संरक्षण सेवाएं जैविक संसाधनों की संवृद्धि, खेती उत्पादन की वृद्धि, औषधीय और वनस्पतिकीय उत्पादों की उच्चतम संभावित गुणवत्ता की सुरक्षा और जैविक प्रणालियों के प्रबंधन में मदद करती हैं।

पर्यावरणीय संरक्षण: 

परितंत्र सेवाएं पर्यावरणीय संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण होती हैं। इन सेवाओं के माध्यम से, वातावरणीय संसाधनों की संरक्षा, जल संरक्षण, मृदा संरक्षण, वन संरक्षण, वायुमंडलीय संरक्षण, जलवायु संरक्षण, और जलप्रवाह नियंत्रण की गतिविधियाँ होती हैं। ये सेवाएं प्राकृतिक पर्यावरण की संतुलन और संरक्षा करती हैं, पर्यावरणीय संसाधनों का समुचित प्रबंधन करती हैं, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करती हैं और पर्यावरण के प्रतिकूल परिणामों को संभालती हैं।

शिक्षा और जागरूकता: 

परितंत्र सेवाएं जनजागरूकता, जागरूकता कार्यक्रम, शिक्षा और प्रशिक्षण के माध्यम से जैविक विविधता के महत्व को प्रमोट करती हैं। इन सेवाओं के माध्यम से लोगों को जैविक विविधता के बारे में जागरूक किया जाता है, उन्हें प्राकृतिक संसाधनों की महत्वपूर्णता समझाई जाती है और संरक्षण के लिए सक्रिय भूमिका के बारे में शिक्षा दी जाती है।
इन सेवाओं के माध्यम से, परितंत्र संरक्षण की सुरक्षा और संरक्षण विभिन्न पारिस्थितिकी सेतुओं की रचना करती है, जो हमारे प्रकृति, समुदाय और भविष्य के लिए महत्वपूर्ण होती हैं।
  

आर्थिक महत्त्व के जैविक संसाधन 

 
जैविक संसाधनों का आर्थिक महत्त्व महानता है, क्योंकि वे आधारभूत और महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधियों को संभालते हैं। निम्नलिखित कुछ महत्त्वपूर्ण आर्थिक पहलुओं का उदाहरण दिया गया है:

खाद्य उत्पादन: 

जैविक संसाधनों के बिना खाद्य उत्पादन संभव नहीं हो सकता। कृषि, मत्स्यपालन, और वन्य जीवन संरक्षण के माध्यम से आने वाले खाद्य पदार्थों के उत्पादन में जैविक संसाधनों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। जैविक खेती और पशु-पक्षी पालन के माध्यम से उत्पादित खाद्य पदार्थों का व्यापार, खाद्य सुरक्षा और कृषि आधारित उद्योगों की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान होता है।

वन्यजीव संपदा: 

जैविक संसाधनों में वन्यजीव संपदा का महत्त्व भी आर्थिक होता है। वन्यजीव संपदा सेवाएं जैव-प्रौद्योगिकी, वन्यजीव संरक्षण क्षेत्र में पर्यटन, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का मूल्यांकन, और बायोडाइवर्सिटी के साथ जुड़े औषधीय और जीववैज्ञानिक अनुसंधान में महत्त्वपूर्ण होती हैं। वन्यजीव संपदा का उपयोग जैविक उत्पादों, पशु-पक्षी दर्शन, जैविक खेती के पैकेज, औषधीय उत्पादों, और प्राकृतिक सौंदर्य के उद्योग में होता है।

पर्यटन: 

जैविक संसाधनों का आर्थिक महत्त्व पर्यटन के क्षेत्र में भी होता है। प्राकृतिक सुंदरता, वन्यजीवों का दर्शन, जैविक पार्क और वन्यजीव अभ्यारण्यों के आकर्षण के कारण, पर्यटन के संबंध में जैविक संसाधनों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। पर्यटन उद्योग में जैविक संसाधनों के अच्छे प्रबंधन का परिणामस्वरूप देशों और क्षेत्रों को पर्यटन के माध्यम से आर्थिक लाभ प्राप्त होता है, जिससे रोजगार के अवसर और विकास का कारक बनते हैं।
इस प्रकार, जैविक संसाधनों का आर्थिक महत्त्व कई क्षेत्रों में देखा जा सकता है और इनके संरक्षण, प्रबंधन और उपयोग के माध्यम से हमारी आर्थिक वृद्धि और पर्यावरणीय संतुलन को सुनिश्चित किया जा सकता है।
  

सामाजिक लाभ 

 
जैविक संसाधनों का सामाजिक लाभ विभिन्न प्रकार का होता है। नीचे कुछ महत्वपूर्ण सामाजिक लाभों का उल्लेख किया गया है:

आदिवासी और स्थानीय समुदायों के लिए: 

जैविक संसाधनों का सभी समुदायों के लिए महत्वपूर्ण योगदान होता है, लेकिन विशेष रूप से आदिवासी और स्थानीय समुदायों के लिए इसका अधिक महत्त्व होता है। जैविक संसाधनों का समुदायों के आधारभूत जीवन, आर्थिक उन्नति, भोजन और औषधीय आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद मिलती है। स्थानीय जीवनशैली, रुझानों, सांस्कृतिक अभिव्यक्ति और अनुकूलन में जैविक संसाधनों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
रोजगार के अवसर: जैविक कृषि, वन्य जीवन पर्यटन, औषधीय उत्पादन, जैविक उत्पादों के व्यापार और जैविक प्रौद्योगिकी क्षेत्र में संबंधित कार्य अवसरों की सृजनशीलता सामाजिक लाभ प्रदान करती है। जैविक संसाधनों के उपयोग, प्रबंधन, विपणन और प्रोसेसिंग से निर्मित उत्पादों का व्यापार रोजगार के अवसरों को बढ़ाता है और स्थानीय समुदायों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाता है।

सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य: 

जैविक संसाधनों के संपर्क में रहना, प्रकृति में समय बिताना और जीवन के प्रकृतिक तत्वों का आनंद लेना सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है। वन्यजीव अभ्यारण्यों के दर्शन, बागवानी, उद्यानों में वक्त बिताना और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेना स्थानीय समुदायों की सामाजिक और मानसिक रूप से स्थिरता को बढ़ाता है।

पर्यावरणीय संरक्षण: 

जैविक संसाधनों का संरक्षण सामाजिक लाभ का एक महत्वपूर्ण पहलु है। इसके माध्यम से, प्राकृतिक पारिस्थितिकी सुरक्षित रहती है, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाव होता है और वातावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए प्रभावी कार्रवाई होती है। यह सामाजिक और मानविकी संसाधनों की सुरक्षा, जल, हवा, भूमि और वनस्पति के संरक्षण का संचालन करता है और सुरक्षित आवास और अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है।
यहाँ दिए गए कुछ सामाजिक लाभ जैविक संसाधनों के हैं, लेकिन इसकी सूची सीमित नहीं है और इसके अलावा भी अनेक और सामाजिक लाभ हो सकते हैं। जैविक संसाधनों की संरक्षा, प्रबंधन और सदुपयोग सामाजिक सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
  

जैव विविधता के ह्रास के कारण

 
जैविक विविधता के ह्रास के कई कारण हैं, जो निम्नलिखित हो सकते हैं:

पर्यावरणीय परिवर्तन: 

जलवायु परिवर्तन, अत्यधिक मौसमी घटनाएं, वन आग, जल संकट और पर्यावरणीय बदलाव जैविक संसाधनों के लिए महत्वपूर्ण ह्रास कारक हो सकते हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण जंगलों में वनस्पति, पशु-पक्षी और समुद्री जीवन के लिए उचित मौजूदा संरचना के लिए अनुकूल नहीं हो सकती है।

जंगलों की कटाई: 

वनों की अवैध और अत्यधिक कटाई, वन्यजीवों के निवासस्थानों की हानि का कारण बन सकती है। अधिकांश जैविक संसाधनों का मुख्य स्थान जंगलों में होता है, और इसलिए जंगलों की कटाई जैविक विविधता को प्रभावित कर सकती है।

प्रदूषण: 

जल, वायु, और माटी के प्रदूषण का जैविक विविधता पर भी असर पड़ता है। उदाहरण के लिए, जलमार्गों और समुद्री क्षेत्रों में अतिरिक्त मात्रा में जल प्रदूषण मार्गदर्शन कर सकता है और समुद्री जीवन को प्रभावित कर सकता है।

विदेशी प्रजातियों का प्रवेश: 

विदेशी प्रजातियों का प्रवेश एक क्षेत्र में स्थानीय प्रजातियों के संतुलन को ख़राब कर सकता है। जब विदेशी प्रजातियाँ प्राकृतिक उपाधियों को जबरन विस्थापित करती हैं, तो इसके परिणामस्वरूप स्थानीय प्रजातियों को अवसादित करने या नष्ट करने का खतरा हो सकता है।

अनुशासनहीनता: 

जैविक संसाधनों के प्रबंधन में अनुशासनहीनता और अनुमति के अभाव भी जैविक विविधता के ह्रास का कारण बन सकते हैं। अनुशासनहीनता के कारण अवैध शिकार और अत्यधिक मात्रा में वन्य जीवों का व्यापार हो सकता है, जो उनकी संतानों को खतरे में डाल सकता है और जैविक विविधता को कम कर सकता है।
ये कुछ मुख्य कारण हैं, लेकिन जैविक विविधता के ह्रास के लिए अन्य भी कारण हो सकते हैं। इसलिए, जैविक संसाधनों का सुरक्षित रखने, प्रबंधन करने और संरक्षित करने की जरूरत है ताकि हम समृद्ध और संतुलित पृथ्वी पर जीवन का आनंद उठा सकें।
  

विलोपंमुखी स्पीशीजों की स्थिति 

विलोपंमुखी स्पीशीजों की स्थिति चिंताजनक है और एक महत्वपूर्ण विषय है जब हम जैविक विविधता की बात करते हैं। विलोपंमुखी स्पीशीजें वे प्राणियाँ होती हैं जो संतुलित पारिस्थितिकी में अस्थायी रूप से लुप्त हो रही हैं और संसाधनों के संचय या प्रकार वापसी की अपेक्षा में तेजी से गिर रही हैं। इन स्पीशीजों की संख्या तेजी से कम हो रही है और इससे जैविक विविधता को कम होने का खतरा होता है।

विलोपंमुखी स्पीशीजों को कई कारणों से प्रभावित किया जा सकता है, जैसे कि:

1. हेबिटेट नष्टी: जंगलों और वन्य प्रदेशों की कटाई और उनके हेबिटेट का नष्ट होना विलोपंमुखी स्पीशीजों के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारण है। हेबिटेट का नष्ट होने से इन प्राणियों को खाद्य, आवास और संपर्क के लिए उचित संरचना की कमी होती है, जिससे उनकी संख्या कम हो जाती है।

2. प्राकृतिक परिवर्तन: प्राकृतिक परिवर्तन जैसे कि जलवायु परिवर्तन, वन आग, जल संकट और अत्यधिक मौसमी घटनाएं भी विलोपंमुखी स्पीशीजों के लिए खतरा पैदा करती हैं। इन परिवर्तनों के कारण उनकी संख्या कम होती है और वे अपने प्राकृतिक हेबिटेट से दूर हो सकती हैं।

3. विदेशी प्रजातियों का प्रवेश: विदेशी प्रजातियों का प्राकृतिक परिवारण में प्रवेश विलोपंमुखी स्पीशीजों के लिए एक बड़ा खतरा है। जब विदेशी प्रजातियाँ स्थानीय प्रजातियों के संतुलन को ख़राब करती हैं, तो इसके परिणामस्वरूप स्थानीय प्रजातियों को नुकसान हो सकता है और विलोपंमुखी हो सकती हैं।

विलोपंमुखी स्पीशीजों की स्थिति को रोकने और उनकी संरक्षा करने के लिए संघर्ष किया जा रहा है। इसमें संरक्षण क्षेत्र, जीवसंरक्षण क्षेत्रों का गठन, जैव अध्ययन, संगठन और जनसंचार के माध्यम से जनता को जागरूक करने का शामिल है।
  

जैव विविधता का संरक्षण 

 
जैव विविधता का संरक्षण एक महत्वपूर्ण और आवश्यक कार्य है जो हमारे प्राकृतिक संसाधनों, पारिस्थितिकी और मानवीय कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है। यह हमें संतुलित पृथ्वी परिसंपत्ति को सुरक्षित रखने में मदद करता है और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्थायी और गुणवत्तापूर्ण पर्यावरण की सुनिश्चितता प्रदान करता है।

जैव विविधता का संरक्षण निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है:

1. संरक्षण क्षेत्रों की स्थापना: जैव विविधता के महत्वपूर्ण क्षेत्रों को संरक्षण क्षेत्रों या नियंत्रित प्रबंधन क्षेत्रों में घोषित किया जा सकता है। इन क्षेत्रों में प्राकृतिक हेबिटेट को संरक्षित रखा जाता है, जिससे वन्य जीवों को सुरक्षा और स्थायित्व प्राप्त होता है।

2. प्रजाति संरक्षण: विलोपंमुखी और प्रमुख प्रजातियों के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करना जरूरी है। प्रजाति संरक्षण के माध्यम से, जीवजंतुओं और पौधों को संरक्षित किया जा सकता है और उनकी संख्या को बढ़ाया जा सकता है। इसमें जीवजंतु संरक्षण क्षेत्रों की स्थापना, जीवजंतु संरक्षण कार्यक्रमों का आयोजन और अनुसंधान शामिल होता है।

3. प्राकृतिक संरचनाओं की संरक्षा: प्राकृतिक संरचनाओं की संरक्षा, जैसे कि वन, मरुस्थल, नदी और झील, महत्वपूर्ण है। यह संरचनाएं वन्य जीवों के लिए महत्वपूर्ण होती हैं और इसलिए उनकी संरक्षा करना आवश्यक है। वन्य जीवों के लिए आवास, खाद्य और संपर्क के लिए उचित पर्यावरण की सुनिश्चितता संरक्षित करने के लिए प्राकृतिक संरचनाओं की संरक्षा का महत्व होता है।

4. जनसंचार और जागरूकता: जनता को जैविक विविधता के महत्व को समझाने और संरक्षण के लिए जागरूक करने के लिए जनसंचार और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं। जनता को प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक करने से उन्हें संरक्षण के साथ सहयोग करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

जैव विविधता का संरक्षण हमारे प्राकृतिक संसाधनों, वनस्पति और जीव-जंतु समुदायों की संरक्षा करने में मदद करता है, जो हमारे लिए आवश्यक हैं। इसके अलावा, जैव विविधता का संरक्षण प्राकृतिक जीवन के रूप में हमारे लिए अनमोल और सुंदरता का स्रोत प्रदान करता है।
  

संरक्षण कार्यकारिणी

 
जैव विविधता के संरक्षण के लिए निम्नलिखित कार्यकारी नीतियाँ और प्रयास किए जा सकते हैं:

1. संरक्षण क्षेत्रों की स्थापना: वन्यजीवों और प्राकृतिक हेबिटेट की संरक्षा के लिए संरक्षण क्षेत्रों की स्थापना की जा सकती है। इन क्षेत्रों को संरक्षित किया जाता है और वन्यजीवों के लिए सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जाता है।

2. प्राकृतिक संरचनाओं की संरक्षा: प्राकृतिक संरचनाएं जैसे जंगल, मरुस्थल, नदी, झील और बांधों की संरक्षा की जाती है। इन संरचनाओं को सुरक्षित रखने से वन्यजीवों को प्राकृतिक आवास और पोषण स्रोत मिलते हैं।

3. प्रजाति संरक्षण: विलोपंमुखी और महत्वपूर्ण प्रजातियों की संरक्षा और प्रजाति संरक्षण कार्यक्रमों की स्थापना की जाती है। इसके माध्यम से प्रजातियों को संरक्षित रखा जाता है और उनकी संख्या को बढ़ाया जाता है।

4. जनसंचार और शिक्षा: जनता को जैव विविधता के महत्व को समझाने के लिए जनसंचार और शिक्षा के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इससे लोगों को संरक्षण की महत्ता के बारे में जागरूक होते हैं और वन्यजीवों और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में सहयोग करने के लिए प्रेरित किया जाता है।

5. सामुदायिक सहभागिता: संरक्षण कार्यक्रमों में सामुदायिक सहभागिता को शामिल किया जाता है। स्थानीय समुदायों को संरक्षण प्रक्रिया में सम्मिलित किया जाता है और उनकी सहयोग की अनुमति दी जाती है।

6. कठोर कानूनों और नियंत्रण: कठोर कानूनों और नियंत्रण के माध्यम से वन्यजीवों के संरक्षण को सुनिश्चित किया जाता है। इससे अवैध वनस्पति और जीव-जंतु व्यापार, जलवायु परिवर्तन के लक्षणों का पालन करने की ज़रूरत होती है।

ये केवल कुछ उदाहरण हैं जो जैव विविधता के संरक्षण के लिए किए जा सकते हैं। संरक्षण कार्यकारिणी विभिन्न स्तरों पर आवश्यक होती है, जिसमें सरकारी नीतियाँ, वन्यजीव संरक्षण संगठन, स्थानीय समुदायों और व्यक्तिगत सहयोग शामिल हो सकते हैं।
  

राष्ट्रीय उद्यान एवं अभ्यारण

 
राष्ट्रीय उद्यान और अभ्यारण एक प्रमुख तत्व हैं जो जैव विविधता के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये स्थानीय, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित किए जाते हैं और वन्य जीवों, पौधों, प्राकृतिक संरचनाओं और जीवन प्रकृति के संरक्षण के लिए निर्मित किए जाते हैं।

राष्ट्रीय उद्यानों और अभ्यारणों का मुख्य उद्देश्य जैविक विविधता के खतरे से बचाव, वन्य जीवों के संरक्षण, प्रजाति संरक्षण, निर्वाह के लिए प्राकृतिक हेबिटेट के प्रदर्शन, शिक्षा, संशोधन और अनुसंधान होते हैं।

इन उद्यानों और अभ्यारणों में वन्य जीवों के लिए आवास, प्राकृतिक आभिजात्य, संरक्षण कार्यक्रम, जैव विविधता की मॉनिटरिंग, शिकार प्रबंधन, जलस्रोतों की संरक्षा, पारितंत्रिक संघर्ष के नियंत्रण, जीवविज्ञानी और पर्यटन की सुविधाओं का प्रबंधन शामिल होता है।

ये उद्यान और अभ्यारण भूमि के एक खंड को प्राकृतिक तत्वों और वन्य जीवों के लिए संरक्षित करके उन्हें शुद्ध और सुरक्षित वातावरण प्रदान करते हैं। इन्हें वन्यजीव और प्राकृतिक संसाधनों के लिए एक महत्वपूर्ण संरक्षण केंद्र के रूप में मान्यता प्राप्त होती है।
  

जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र

 
जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र (Biosphere Reserve) एक विशेष प्रकार का संरक्षण क्षेत्र है जो जैविक विविधता के संरक्षण और सुरक्षा को समर्पित होता है। ये क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय महत्व रखता है और यूनेस्को (UNESCO) द्वारा मान्यता प्राप्त किए जाते हैं। इन क्षेत्रों में वन्य जीवों, पौधों, प्राकृतिक संरचनाओं और जलवायु सिस्टम के संरक्षण के लिए निर्धारित कार्यक्रम चलाए जाते हैं।

जैव मंडल आरक्षित क्षेत्रों का मुख्य उद्देश्य वन्य जीवों की संरक्षण, प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन, जैव विविधता की मॉनिटरिंग और शोध, वन्यजीवों के संगठन, जनसंचार और शिक्षा, स्थानीय समुदायों के सहयोग को बढ़ाना और सामरिक और विकासीय सतत उपयोग के माध्यम से स्थानीय जनता की आर्थिक विकास को सुनिश्चित करना है।

इन आरक्षित क्षेत्रों के अन्दर तीन मुख्य क्षेत्र होते हैं:
1. कोर क्षेत्र (Core Zone): यह स्थान नियमित रूप से संरक्षण के लिए प्राकृतिक अप्रवेश्य और अवासीय क्षेत्र के रूप में नियुक्त किया जाता है। यहां पर्यावरण के प्राकृतिक प्रकार की अद्यतन संख्या होती है और किसी भी प्रकार के मानवीय हस्तक्षेप को प्रतिबंधित किया जाता है।
2. परिवार्तन क्षेत्र (Transition Zone): यह क्षेत्र कोर क्षेत्र के आसपास स्थित होता है और संरक्षण के लिए अनुशासनात्मक और स्थानीय विकास को संतुलित करने का प्रयास किया जाता है। यहां स्थानीय संसाधनों का उपयोग होता है और स्थानीय जनसंचार, शिक्षा और सांस्कृतिक गतिविधियों को संबद्ध किया जाता है।
3. सांर्प्रदायिक क्षेत्र (Buffer Zone): यह क्षेत्र जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र के बाहर स्थित होता है और इसमें मानवीय गतिविधियों के प्रबंधन का प्रमुख ध्येय रहता है। सांर्प्रदायिक क्षेत्र में विकासीय कार्यक्रमों, वन्यजीव पर्यटन, जलस्रोतों के प्रबंधन, उद्यानों के स्थानीय प्रबंधन का समर्थन और जनता के साथ सहयोग को संजोया जाता है।

जैव मंडल आरक्षित क्षेत्रें एक सुरक्षित और संतुलित पर्यावरण सुनिश्चित करने के साथ सामाजिक, आर्थिक और पारिस्थितिकी लाभ प्रदान करते हैं। ये क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन, प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग के लिए बाध्यता और जीवनशैली के साथ संबंधित प्रशिक्षण और शिक्षा प्रदान करते हैं। इन क्षेत्रों का संरक्षण और प्रबंधन सुरक्षित जीवनशैली, स्थानीय समुदायों की सहभागिता, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का पता लगाने और सामाजिक आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  

प्रोजेक्ट टाइगर स्पीशीज संरक्षण में एक सफलता 

 
प्रोजेक्ट टाइगर (Project Tiger) भारत में बाघों के संरक्षण और उनकी संख्या को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। इस परियोजना का पहला चरण वर्ष 1973 में शुरू किया गया था और इसका मुख्य उद्देश्य था बाघों के खतरे में पड़े होने वाले प्रमुख कारणों को दूर करके उनके प्राकृतिक आवास को संरक्षित करना था।

प्रोजेक्ट टाइगर ने बाघों के संरक्षण में कई सफलताएं हासिल की हैं। यह पहले से मौजूद बाघ संख्या को बढ़ाने में मदद की है और नये वातावरणों में बाघों की वस्तुस्थिति को सुनिश्चित किया है। इसके अलावा, यह प्रोजेक्ट बाघों की भूमिका को पुनर्स्थापित करने में मदद करने के लिए आवासीय वन्यजीवों की संख्या को भी बढ़ाता है। प्रोजेक्ट टाइगर के तहत निर्धारित आरेख इलाकों में बाघों के लिए सुरक्षित आवास के साथ-साथ उनके खाने की आपूर्ति और पानी की सुविधा का भी ध्यान रखता है।

प्रोजेक्ट टाइगर का उद्देश्य बाघों की संख्या बढ़ाना और उनके प्राकृतिक आवास को सुरक्षित करना है। इसके लिए अलग-अलग टाइगर रिजर्व्स को निर्धारित किया गया है, जहां बाघों की संरक्षण की गतिविधियां कार्यान्वित की जाती हैं। प्रोजेक्ट टाइगर के तहत कई टाइगर रिजर्व्स बाघों की संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और उनके संरक्षण के लिए समर्पित एक टीम और संगठन हैं। यह प्रोजेक्ट वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक मार्गदर्शक पहल है और अन्य देशों में भी संगठित बाघ संरक्षण कार्यक्रमों के लिए मानक बन गया है।
  

प्रोजेक्ट एलिफेंट 

 
प्रोजेक्ट एलिफेंट (Project Elephant) भारत में हाथी (एलिफेंट) के संरक्षण के लिए एक राष्ट्रीय संरक्षण कार्यक्रम है। यह पहले संकेत दिवस के रूप में 12 अगस्त 1992 को शुरू किया गया था। प्रोजेक्ट एलिफेंट का मुख्य उद्देश्य है वन्यजीव हाथियों की संख्या को बढ़ाना, उनके प्राकृतिक आवास को संरक्षित करना, हाथी-मानव संघर्ष को कम करना और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के माध्यम से संबंधित हिस्सेदारों के साथ सहयोग करना है।

प्रोजेक्ट एलिफेंट के तहत कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं जो हाथी संरक्षण में सफलता के साथ संबंधित हैं। यह वन्यजीव हाथियों के प्राकृतिक आवास की संरक्षण के लिए कार्रवाई करता है, हाथियों के बीमारियों के प्रबंधन, जलस्रोतों की संरक्षण, हाथी-मानव संघर्ष के प्रबंधन और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के माध्यम से नगरीकरण के प्रभाव को कम करने का प्रयास करता है। इसके तहत बाघ रिजर्व्स को विस्तारित किया जाता है और वन्यजीव संरक्षण के लिए आवास, प्राकृतिक आवास की संरक्षण के लिए उपयुक्त जगहों की उपलब्धता, बाघ और उनके साथी जीवों के बीमारियों के उपचार और तकनीकी सहायता के माध्यम से हाथी संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय अपनाए जाते हैं।
  

मगरमच्छ प्रजनन एवं प्रबंधन परियोजना

 मगरमच्छ प्रजनन एवं प्रबंधन परियोजना (Crocodile Breeding and Management Project) भारत में गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्री और दक्षिणी भारतीय राज्यों के मगरमच्छ प्रजातियों के संरक्षण, प्रजनन और प्रबंधन को संघर्ष करने के लिए शुरू की गई एक पहल है। यह परियोजना भारतीय वन्यजीव संरक्षण संस्थान (Wildlife Institute of India) द्वारा संचालित की जाती है और उद्देश्य है मगरमच्छ प्रजातियों की संख्या को बढ़ाना, उनके प्राकृतिक आवास को संरक्षित करना और संघर्ष क्षेत्रों में हानि को कम करना।

मगरमच्छ प्रजनन एवं प्रबंधन परियोजना के तहत कई कार्यक्रम और क्रियाएं कार्यान्वित की जाती हैं। यह वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास की संरक्षण के लिए उपयुक्त जगहों की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए नए मगरमच्छ संरक्षण क्षेत्रों की स्थापना करता है। इसके अलावा, इस परियोजना में मगरमच्छ प्रजनन केंद्रों की स्थापना और संचालन किए जाते हैं, जहां मगरमच्छों के प्रजनन, अंडों का संग्रह और संरक्षण कार्य किया जाता है। इसके अलावा, शिकारी मगरमच्छों के विघटन को रोकने के लिए संघर्ष क्षेत्रों में कार्यान्वित क्रियाएं होती हैं और जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं ताकि स्थानीय जनता और संघर्ष क्षेत्रों के आसपास रहने वाले लोगों को मगरमच्छों के संरक्षण की महत्ता के बारे में जागरूक किया जा सके।
  

जेवीक विविधता अधनियम 

 
जैव विविधता अधिनियम (Biodiversity Act) एक कानून होता है जो देश के जैविक विविधता की संरक्षण, प्रबंधन, उपयोग और पहचान के लिए निर्धारित किया जाता है। यह अधिनियम 2002 में भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था और जैविक विविधता के संरक्षण और संबंधित मामलों को व्यवस्थित करने के लिए विभिन्न नियम, विधियों और निर्देशों को शामिल करता है।

जैव विविधता अधिनियम के माध्यम से, भारत में जैविक विविधता के संरक्षण, प्रबंधन और संरक्षण के लिए निम्नलिखित उद्देश्यों को प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है:

1. जैविक विविधता के संरक्षण और प्रबंधन के लिए समर्थन कार्यक्रम की स्थापना करना।
2. स्थानीय समुदायों और प्रदेशों को जैविक संसाधनों के स्थानीय प्रबंधन में सहयोग करना।
3. जैविक संसाधनों के प्रयोग, उत्पादन और व्यापार में संघर्ष को नियंत्रित करना।
4. जैविक संपदा के संबंध में ज्ञान, जागरूकता और जागरूकता को बढ़ाना।
5. संबंधित प्राकृतिक वातावरण और सामुदायिक संपदा के साथ संगठित संवर्धन को प्रोत्साहित करना।

जैव विविधता अधिनियम भारतीय सरकार द्वारा जैविक विविधता के संरक्षण और प्रबंधन के मामलों को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण एकाधिकारी दस्तावेज है। यह अधिनियम जैविक संसाधनों की समर्पण, संरक्षण, प्रबंधन और उपयोग को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
 
इस पोस्ट में हमने जैविक विविधता के महत्व, प्रकार, संरक्षण, एवं संरक्षण कार्यकारिणी पर विस्तृत चर्चा की है। हमने जैविक विविधता का अधिकारिक परिभाषा और उसके विभिन्न आयामों के बारे में जानकारी दी है। स्पीशीज विविधता, पारितंत्रिय विविधता, और जैविक विविधता के हॉट स्पॉट के विषय में विवरण प्रदान किया गया है। हमने जैविक विविधता के अर्थिक, सामाजिक, और पर्यावरणीय महत्व के बारे में बात की है। इसके साथ ही, जैविक विविधता के ह्रास के कारण और विलोपंमुखी स्पीशीजों की स्थिति पर चर्चा भी की गई है। हमने विभिन्न संरक्षण कार्यक्रम जैसे राष्ट्रीय उद्यान, अभ्यारण, जैव मंडल आरक्षित क्षेत्र, प्रोजेक्ट टाइगर, प्रोजेक्ट एलिफेंट, और मगरमच्छ प्रजनन और प्रबंधन परियोजना के बारे में भी जानकारी दी है। संपूर्ण पोस्ट का मकसद जैविक विविधता के महत्व को समझाना और उसके संरक्षण की आवश्यकता को प्रमोट करना था।
Kkr Kishan Regar

Dear friends, I am Kkr Kishan Regar, an enthusiast in the field of education and technology. I constantly explore numerous books and various websites to enhance my knowledge in these domains. Through this blog, I share informative posts on education, technological advancements, study materials, notes, and the latest news. I sincerely hope that you find my posts valuable and enjoyable. Best regards, Kkr Kishan Regar/ Education : B.A., B.Ed., M.A.Ed., M.S.W., M.A. in HINDI, P.G.D.C.A.

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