संघीय कार्यपालिका || मंत्रिपरिषद तथा मंत्रिमण्डल || अंतर एवं उत्तरदायित्व

संघीय कार्यपालिका

Snghiya Karyapalika
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    भारत ने संसदात्मक शासन प्रणाली को अपनाया है जिसमें राष्ट्रपति देश का संवैधानिक अध्यक्ष होता है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद् वास्तविक कार्यपालिका है। भारत के राष्ट्रपति का अप्रत्यक्ष निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा एक निर्वाचक मंडल द्वारा होता है जिसमें संसद के दोनों सदनों तथा राज्य विधान सभाओं के सभी निर्वाचित सदस्यों द्वारा एक जटिल प्रणाली द्वारा होता है जो यह सुनिश्चित करती है कि केन्द्रीय संसद और राज्य विधान सभाओं के मतों का मूल्य समान हो।

    राष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष होता है। वह पानी भी चुनाव लड़ सकता है। वह अवधि पूरी होने से पहले भी त्याग पत्र दे सकता है अथवा उसे महाभियोग द्वारा हटाया भी जा सकता है। राष्ट्रपति को विशाल शक्तियां प्राप्त हैं। उसकी शक्तियों की विधायी, कार्यपालिका संबंधी, वित्तीय तथा न्यायिक शक्तियों में वर्गीकृत किया जा सकता है। परंतु उसकी शक्तियों का प्रयोग प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद द्वारा किया जाता है। राष्ट्रपति को कई विशेषाधिकार प्राप्त है और वह प्रशासन के क्षेत्र में अपना प्रभाव डाल सकता है। उसे सूचना प्राप्त करने, परामर्श करने और चेतावनी देने का अधिकार प्राप्त है। वह मंत्रिपरिषद के लिए मार्गदर्शक तथा परामर्शता भी है। प्रधानमंत्री सरकार का वास्तविक अध्यक्ष होता है। इसकी नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। राष्ट्रपति ओपन स्कूल को लोक सभा के बहुमत दल के नेता अथवा कुछ दलों के गठबंधनों के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करना पडता है।

    प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मंत्रिपरिषद राष्ट्रपति को इसके दायित्व वहन में सलाह व सहयोग देती है। मंत्रिपरिषद में दो स्तरों के मंत्री होते हैं- कैबिनेट मंत्री तथा राज्य मंत्री। प्रधानमंत्री की सलाह से राष्ट्रपति मंत्रियों की नियुक्ति करता है।

    प्रधानमंत्री देश का नेता होता है। वह देश के प्रश्न के लिए उत्तरदायी होता है। वह मंत्रिमण्डल की बैठक की अध्यक्षता करता है। मंत्रीपरिषद् उसकी देखरेख में कार्य करती है। सभी राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर वह भारत का प्रतिनिधत्व करता है। प्रधानमंत्री राष्ट्रपति तथा मंत्रिपरिषद के बीच कडी का काम करता है। प्रधानमंत्री विभिन्न मंत्रालयों के कार्यों का ध्यान रखता है तथा उनमें समन्वय बनाए रखता है। वह तब तक अपने पद पसरए बना रहता है जब तक उसे लोक सभा में बहुमत का समर्थन प्राप्त है। राष्ट्रपति द्वारा की जाने वाली सभी महत्त्वपूर्ण नियुक्तियां, प्रधानामंत्री की सिफारिश पर होती हैं।

    मंत्रिमंडल सरकार की आंतरिक एवं विदेश नीतियां निर्धारित करता है। वह विभिन्न विभागों के कार्यों में तालमेल स्थापिसत करताहै। राष्ट्रीय वित्त पर इस का पूर्ण नियंत्रण होता है। किसी भी धन विधेयक को लोक सभा में केवल मंत्री ही प्रस्तावित कर सकते हैं।

मंत्रिपरिषद तथा मंत्रिमण्डल

मंत्रिपरिषद तथा मंत्रिमण्डल में अंतर बताइए।
    भारत में मंत्रिपरिषद का संवैधानिक संस्था है जबकि मंत्रिमंडल अभिसमय की उत्पत्ति है। दोनों में प्रमुख अन्तर इस प्रकार हैं :-

(1) मंत्रिपरिषद एक विशाल संस्था होती है जिसमें 50 से 60 तक सदस्य होते हैं परन्तु अब संविधान के 91वें संशोधन द्वारा मंत्रिपरिषद के आकार को सदन की संख्या का 15 प्रतिशत तक सीमित कर दिया गया है। जबकि मंत्रिमण्डल एक लघु संस्था होती है जिसमें 20-22 सदस्य होते हैं।

(2) मत्रिपरिषद में तीन प्रकार के मंत्री होते हैं जैसे -केबीनेट मंत्री, राज्य मंत्री तथा उपमंत्री। जबकि मंत्रिमण्डल में केवल केबीनेट स्तर के मंत्री होते हैं।

(3) नीति संबन्धी महत्त्वपूर्ण निर्णय केबीनेट द्वारा तथा मंत्रीपरिषद के सदस्य केवल अपने विभागों से संबंध रखते हैं।

(4) महत्त्वपूर्ण नियुक्तियों के संबंध में निर्णय, विधायक संबंधी प्रस्तावों को अनुमोदन तथा राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व के विषयों पर निर्णय मंत्रिमण्डल द्वारा ही लिये जाते हैं जबकि मंत्रिपरिषद मंत्रिमण्डल की सहायक संस्था होती है।

(5) मंत्रिमण्डल के सदस्यों को अधिक तथा मंत्रिपरिषद के सदस्यों को कम वेतन प्राप्त होता है।

(6) मंत्रिमण्डल के सदस्य विभागों के अध्यक्ष होते हैं। मंत्रिपरिषद के सदस्य उनकेअधीनस्थ सहायता करने के लिए होते हैं।

    इस प्रकार मंत्रिमण्डल,मंत्रिपरिषद के नाम से ही कार्य करता है तथा व्यवहार में मंत्रिमण्डल शब्द का ही प्रयोग किया जाता है।

मंत्रियों के सामूहिक तथा व्यक्तिगत उत्तरदायित्व

मंत्रियों के सामूहिक तथा व्यक्तिगत उत्तरदायित्व का वर्णन कीजिए।
संसदीय सरकार की एक प्रमुख विशेषता मंत्रियों का उत्तरदायित्व है। मंत्रिपरिषदीय दायित्व के सिद्धांत के दो आयाम है : 
  • (1) सामूहिक उत्तरदायित्व 
  • (2) व्यक्तिगत उत्तरदायित्व।

(1) सामूहिक उत्तरदायित्व - 

सामूहिक उत्तरदायित्व से तात्पर्य है कि मंत्रिमण्डल के सभी सदस्य अपने कार्यों के लिए अलग अलग नहीं, बल्कि सामूहिक रूप से उत्तरदायी हैं। वे एक साथ डूबते और एक साथ तैरते हैं। एक मंत्री के विरूद्ध अविश्वास का अर्थ होता है - सम्पूर्ण मंत्रिमण्डल के विरूद्ध अविश्वास। भारतीय मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरादायी होता है। सामूमहिक उत्तरदायित्व के दो अर्थ स्पष्ट होते हैं - 
(1) मंत्रिपरिषद का प्रत्येक राजनीति विज्ञान XII सदस्य मंत्रिमण्डल के प्रत्येक निर्णय की जिम्मेदारी स्वीकार करता । अन्यथा त्याग पत्र दे देता है।
(2) प्रधानमंत्री के विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पारित होना मंत्रिपरिषद के प्रति अविश्वास है। । उदाहरण के लिए इंगलैण्ड में मंत्रिमण्डल का सामूहिक उत्तरदायित्व और उसकी कार्यप्रणाली की गोपनीयता के कारण सम्भव है क्योंकि ब्रिटिश-मंत्रिमण्डल का आधार उसके राजनीतिक दल है। 

(2) व्यक्तिगत उत्तरदायित्व

    मंत्रिमण्डल के सदस्य लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होता है उसी प्रकार वे लोकसभा के प्रति भी व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी हो हैं। प्रधानमंत्री अथवा मंत्रिमण्डल की सहमति के बिना, यदि किसी मंत्री द्वारा किए गए किसी कार्य की आलोचना होती है और उसे संसद द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता है, व्यक्तिगत उत्तरदायित्व लागू होता है। इसी प्रकार यदि किसी मंत्री का व्यक्तिगत व्यवहार अभद्र अथवा प्रश्नात्मक हो, तो सरकार पर कोई प्रभाव पडे बिना, उसे त्यागपत्र देना होगा और यदि कोई मंत्री सरकार के लिए - बोझ बन जाता है तो प्रधानमंत्री के माध्यम से उसे पद छोड़ने के लिए मजबूर किया जा सकता है।
Kkr Kishan Regar

Dear Friends, I am Kkr Kishan Regar, a passionate learner in the fields of education and technology. I constantly explore books and various online resources to expand my knowledge. Through this blog, I aim to share insightful posts on education, technological advancements, study materials, notes, and the latest updates. I hope my posts prove to be informative and beneficial for you. Best regards, **Kkr Kishan Regar** **Education:** B.A., B.Ed., M.Ed., M.S.W., M.A. (Hindi), P.G.D.C.A.

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