राधाकृष्णन आयोग का उद्देश्य एवं कार्यक्षेत्र
आयोग के उद्देश्य- इस आयोग का प्रमुख कार्य या नियुक्ति का उद्देश्य भारतीय विश्वविद्यालय शिक्षा पर रिपोर्ट प्रस्तुत करना तथा उन सुधारों एवं विकासों के विषय में सलाह देना था जो देश की वर्तमान एवं भावी आवश्यकताओं के उपयुक्त होने के लिए वांछनीय हों।
आयोग का कार्यक्षेत्र-
आयोग ने भारतीय विश्वविद्यालय शिक्षा से संबंधित निम्नलिखित विषयों पर सिफारिशें प्रस्तुत करने के लिए कहा था
1. विश्वविद्यालयों का केन्द्रीय सरकार तथा प्रान्तीय सरकारों के साथ संबंध ।
2. विश्वविद्यालय शिक्षा एवं शोध कार्य का उद्देश्य, प्रयोजन तथा उद्देश्य।
3. विश्वविद्यालय में शिक्षा का माध्यम।
4. विश्वविद्यालयों की व्यवस्था, संगठन, नियन्त्रण तथा अधिकार क्षेत्र में वांछित परिवर्तन।
5. विश्वविद्यालयों में भारतीय संस्कृति, इतिहास, दर्शन, साहित्य, भाषाओं तथा . कक्षाओं की शिक्षा की व्यवस्था।
6. विश्वविद्यालयों की विभिन्न कक्षाओं का पाठ्यक्रम।
7. विश्वविद्यालय शिक्षा के स्तर को ऊँचा उठाना।
8. विश्वविद्यालयों में धार्मिक शिक्षा का स्थान।
9. नवीन विश्वविद्यालयों की स्थापना के आधार।
10. विश्वविद्यालयों के वित्तीय साधनों की जाँच करना।
11. विश्वविद्यालय प्रवेश की परीक्षाओं का स्वरूप।
12. बनारस, दिल्ली, अलीगढ़ विश्वविद्यालयों तथा अन्य अखिल भारतीय शिक्षा संस्थाओं का समाधान।
13. विश्वविद्यालयों के छात्रों के अनुशासन, छात्रावासों तथा अवयोधकीय कार्यों के सम्बन्ध में विचार करना।
14. विश्वविद्यालय शिक्षा की दृष्टि से अन्य कोई महत्वपूर्ण विषय।
15. विश्वविद्यालयों के अध्यापकों के संबंध में सुझाव।
16. भिन्न-भिन्न विश्वविद्यालयों के शोध कार्यों में सन्तुलन स्थापित करना।
राधाकृष्णन आयोग के प्रमुख गुण या विशेषताएँ
1. आयोग ने विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों के छात्रों की संख्या सीमित रखने का जो सुझाव दिया है उससे शिक्षा का स्तर उन्नत होने के साथ-साथ विश्वविद्यालयों का वातावरण अच्छा होगा।
2. आयोग की सिफारिशें प्राचीन परम्पराओं, नवीन परिस्थितियों एवं भावी आवश्यकताओं के अनुकूल हैं।
3. आयोग ने कृषि विद्यालयों एवं ग्रामीण विद्यालयों की स्थापना का जो सुझाव दिया है वह बहुत ही मौलिक, क्रान्तिकारी एवं प्रशंसनीय है।
4. आयोग ने विश्वविद्यालयों की कक्षाओं में किसी भी प्रकार का स्वीकृत पाठ्यक्रम रखने का सुझाव दिया है वह भी बहुत उत्तम है। इससे एक तो विद्यार्थियों की रटने एवं संकुचित ज्ञान प्राप्त करने की प्रवृत्ति छूट जायेगी और दूसरे पाठ्यक्रम को स्वीकृति एवं प्रचलन के पीछे पाया जाने वाला भ्रष्टाचार कम होगा।
5. आयोग ने छात्र-संघों को दलगत राजनीति से पृथक रखने का जो सुझाव दिया उससे छात्रों में फैली हुई अनुशासनहीनता की समस्या का समाधान होगा।
6. व्यावसायिक एवं प्राविधिक शिक्षा के विकास पर अधिक बल देने के कारण न केवल विश्वविद्यालयों में छात्रों की अनावश्यक भीड़ कम होगी बल्कि शिक्षा समाप्ति के बाद छात्रों को जीवकोपार्जन के लिए भटकना नहीं पड़ेगा
7. धार्मिक शिक्षा के विषय में दिए सुझाव भारतीय परम्पराओं एवं नवीन संविधान के अनुकूल हैं।
8. आयोग ने शिक्षा के माध्यम की समस्या का उपयुक्त ढंग से समाधान करते हुए संघीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं को उचित स्थान प्रदान किया।
9. आयोग ने विश्वविद्यालयों के प्रशासन एवं वित्त व्यवस्था के संबंध में अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं उपयोगी सुझाव दिए हैं।
10. आयोग ने समस्त विश्वविद्यालयों में वेतन-क्रम की समानता स्थापित करने, अध्यापकों की नियुक्ति, पदोन्नति करने के संबंध में सुझाव दिए हैं जिनसे अध्यापकों में बढ़ते हुए असन्तोष की कमी होगी और शिक्षा का स्तर उच्च होगा।
11. वस्तुगत परीक्षाएँ, कक्षा-कार्य के लिए अंक, प्राप्ताकों के प्रतिशत में वृद्धि आदि के सुझाव दिए हैं जिनसे परीक्षा प्रणाली में पर्यास सुधार होगा।