मुदालियर आयोग

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शिक्षक प्रशिक्षण के बारे में मुदालियर आयोग द्वारा दिये सुझाव

मुदालियर आयोग
मुदालियर आयोग 


शिक्षा के पुनर्संगठन का जो सुझाव आयोग ने दिया उसके लिये उपलबध प्रशिक्षित शिक्षक अपयात थे तथा उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था भी ठीक नहीं थी। आयोग का विचार था कि नवीन माध्यमिक संरचना के लिये योग्य तथा प्रशिक्षित शिक्षकों की आवश्यकता होगी। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिये उसने शिक्षक प्रशिक्षण

के बारे में निम्न सुझाव दिये

(1) प्रशिक्षण विद्यालय दो प्रकार के हो- एक उच्चतर माध्यमिक शिक्षा प्राप्त लोगों के लिये जो दो वर्ष प्रशिक्षण प्राप्त करें और दूसरे स्नातकों के लिये जिसका प्रशिक्षण काल एक वर्ष का हो। परन्तु कुछ समय बाद इसकी अवधि भी दो वर्ष की कर दी जाये।

(2) प्रथम प्रकार की प्रशिक्षण संस्थान हर राज्य में इसी कार्य के लिये गठित बोर्ड के आधीन हो, जबकि दूसरे वर्ग के प्रशिक्षण महाविद्यालयों को विश्वविद्यालयों के अधीन रखा जाये।

(3) प्रशिक्षण संस्थानों में अभिनवन पाठ्यक्रमों, लधु गहन पाठ्यक्रम एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिये कार्यशाला का आयोजन होना चाहिये।

(4) प्रत्येक छात्राध्यापक को एक या अधिक पाठयातिरिक्त क्रियाओं का प्रशिक्षण देना चाहिये।

(5) आयोग ने सुझाव दिया कि प्रशिक्षण विद्यालयों में छात्राध्यापकों से कोई शुल्क नहीं लेना चाहिये। स्कूलों में कार्यरत अप्रशिक्षित अध्यापकों को प्रशिक्षण के लिये प्रेरित करने के उद्देश्य से प्रशिक्षण काल का पूर्ण वेतन सहित अवकाश देना चाहिये।

(6) एम. एड. में केवल प्रशिक्षित और 3 वर्ष का अध्यापन अनुभव प्राप्त स्नातकों को प्रवेश देना चाहिये।

(7) सामुदायिक जीवन का व्यावहारिक ज्ञान देने के लिये प्रशिक्षण संस्थानों में छात्राध्यापकों के रहने की व्यवस्था होनी चाहिये।

(8) प्रशिक्षण संस्थानों के अधीन डिमोंस्ट्रेशन स्कूल होने चाहिये। इन प्रशिक्षण संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों को शिक्षा के विविध पक्षों में शोध कार्य करने में व्यस्त रहना चाहिये।

यद्यपि आयोग द्वारा शिक्षक प्रशिक्षण के लिये अच्छे सुझाव दिये लेकिन कुछ सझाव जैसे नि: शुल्क प्रशिक्षण, छात्राध्यापकों के लिये निवास की सुविधा तथा अनुसंधान कार्य आदि अव्यवहारिक है। जब तक सरकार आर्थिक सहायता प्रदान नहीं करेगी तब तक व्यक्तिगत संस्थाओं द्वारा ये सुविधाएँ उपलब्ध करवाना सम्भव नही है। सरकार का हस्तक्षेप होने से ये संस्थान आर्थिक लाभ प्राप्त करने की दुकान मात्र है। प्रशिक्षण स्तर दिनोदिन गिरता जा रहा है। शिक्षण अभ्यास नहीं करवाया जाता है। योग्य शिक्षकों का इनमें अभाव है।
मुदालियर आयोग की रिपोर्ट

मुदालियर आयोग द्वारा सुझाये गये माध्यमिक स्कूलों के पाठयक्रम की समीक्षा


आयोग में सर्वप्रथम तत्कालीन पाठ्यक्रम के दोष बताए और फिर पाठ्यक्रम के सुधार के लिये सुझाव दिये। आयोग के मतानुसार पाठ्यक्रम लचीला और विविधताओं से युक्त होना चाहिये। पाठ्यक्रम के सभी विषय का परस्पर और जीवन से सम्बन्ध होना चाहिये। पाठ्यक्रम का सामुदायिक जीवन के साथ सम्बन्ध होना चाहिये। इन सिद्धान्तों को आधार मानकर आयोग ने माध्यमिक कक्षाओं के लिए निम्न पाठ्यक्रम का सुझाव दिया -

आयोग ने विषयों को दो भागों में बाँटा। माध्यमिक स्तर पर कुछ आन्तरिक विषय (coresubject) होंगे जिनका अध्ययन सभी छात्रों के लिये अनिवार्य होगा। कुछ वैकल्पिक विषय होंगे जो 7 समूहों में बाँटे गये है।

(क) आन्तरिक विषय

इसके तीन वर्ग किये गये है -

अ- (1) मातृभाषा या प्रादेशिक भाषा या मातृभाषा और एक शास्त्रीय भाषा का मिश्रित पाठ्यक्रम

(2) निम्न में से एक भाषा का चयन 
(i) हिन्दी (उनके लिये जिनकी मातृभाषा हिन्दी नहीं है) 
(ii) प्रारम्भिक अंग्रेजी (जिन्होंने मिडिल स्तर पर अध्ययन नही किया है)। 
(iii) उच्च अंग्रेजी (जिन्होंने पहले अंग्रेजी का अध्ययन किया है) 
(iv) हिन्दी के अतिरिक्त एक अन्य भारतीय भाषा 
(v) अंग्रेजी के अतिरिक्त एक आधुनिक विदेशी भाषा 
(vi) एक शास्त्रीय भाषा 

ब - (1) समाज विज्ञान का सामान्य पाठ्यक्रम 
(2) गणित सहित सामान्य विज्ञान

स- कोई एक शिल्प- 
(1) कताई-बुनाई 
(2) काष्ठ कार्य 
(3) बागवानी 
(4) सिलाई 
(5) प्रतिरूपण 
(6) मुदण कार्य 
(7) धातु कार्य 
(8) वर्कशाप कार्य।

(ख) वैकल्पिक विषय -

7 समूहों में से किसी एक समूह के तीन विषय समूह 
1- मानव विज्ञान - 
(1) एक शास्त्रीय भाषा 
(2) इतिहास 
(3) भूगोल 
(4) अर्थशास्त्र व नागरिक शास्त्र 
(5) गणित 
(6) संगीत 
(7) गृह विज्ञान 
(8) मनोविज्ञान व तर्कशास्त्रा पता

समूह 2 - विज्ञान - 

(1) भौतिक विज्ञान 
(2) रसायन शास्त्र 
(3) जीव विज्ञान 
(4) गणित 
(5) भूगोल

समूह 3 - प्रावधिक - (1) व्यावहारिक गणित और ज्यामिति (2) व्यावहारिक विज्ञान (3) यात्रिक अभियान्त्रिकी (4) विद्युत अभियान्त्रिकी।

समूह 4- वाणिज्य- (1) बहीखाता (2) वाणिज्य भूगोल या अर्थशास्त्र के तत्त्व (3) आशुलिपि और टंकन (4) वाणिज्यिक अभ्यास।

समूह 5 - कृषि - (1) सामान्य कृषि (2) पशुपालन (3) बागवानी (4) कृषि रसायन और वनस्पति विज्ञान।

समूह 6 - ललित कलाएँ- (1) कला का इतिहास (2) ड्राइंग तथा रूपांकन (3) चित्रकला (4) प्रतिरूपण (5) संगीत (6) नृत्य

समूह 7 - गृह विज्ञान - (1) गृह अर्थशास्त्र (2) आहार, पोषण और पाक कला (3) मातृकला और शिशु पालन (4) गृह प्रबन्ध और ग्रह उपचारण।

आयोग के पाठ्यक्रम सम्बन्धी सुझाव सर्वोत्तम थे। इन्होंने नवीन पाठ्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। आयोग ने छात्रों की मनो-शारीरिक विशेषताओं को ध्यान में रखकर विविध पाठ्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। इससे छात्र बेकारी की समस्या से ग्रसित नहीं होंगे।
Kkr Kishan Regar

Dear Friends, I am Kkr Kishan Regar, a passionate learner in the fields of education and technology. I constantly explore books and various online resources to expand my knowledge. Through this blog, I aim to share insightful posts on education, technological advancements, study materials, notes, and the latest updates. I hope my posts prove to be informative and beneficial for you. Best regards, **Kkr Kishan Regar** **Education:** B.A., B.Ed., M.Ed., M.S.W., M.A. (Hindi), P.G.D.C.A.

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