वीर सावरकर : जन्म दिवस विशेष - KKR Education

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शुक्रवार, 28 मई 2021

वीर सावरकर : जन्म दिवस विशेष

वीर विनायक दामोदर सावरकर
जन्म दिवस विशेष :- वीर सावरकर


वीर सावरकर
वीर सावरकर 

प्रसिद्ध क्रन्तिकारी देशभक्त वीर सावरकर का जन्म आज ही के दिन 28 मई 1883 को नासिक के भगूर गांव में हुआ। उनके पिता का नाम दामोदर पंत सावरकर एवं माता का नाम राधाबाई था उनके पिता गांव के प्रतिष्ठित व्यक्तियों में जाने जाते थे। जब विनायक 9 साल के थे, तब ही उनकी माता का देहांत हो गया था। उनका पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था। वे बचपन से ही पढ़ाकू थे। बचपन में वे कुछ कविताएं भी लिखते थे। उन्होंने शिवाजी हाईस्कूल, नासिक से 1901 में मैट्रिक की परीक्षा पास की।

वीर सावरकर 1911 से 1921 तक अंडमान जेल में रहे। 1921 में वे स्वदेश लौटे और फिर 3 साल जेल भेजे गये। जेल में हिन्दुत्व पर शोध ग्रंथ लिखा। 1937 में वे हिन्दू महासभा के अध्यक्ष चुने गए। 1943 के बाद वे दादर, मुंबई में रहे। भारत के इस महान क्रांतिकारी का 26 फरवरी 1966 को निधन हुआ। उनका संपूर्ण जीवन स्वराज्य की प्राप्ति के लिए संघर्ष करते हुए बीता।

*आइए जानते हैं वीर सावरकर के बारे में देशभक्ति से परिपूर्ण रोचक तथ्य*

*1*. वीर सावरकर ऐसे पहले क्रांतिकारी देशभक्त थे जिन्होंने 1901 में ब्रिटेन की रानी विक्टोरिया की मृत्यु पर नासिक में शोक सभा का विरोध किया और उन्होंने कहा कि वो हमारे देश की नहीं बल्कि शत्रु देश की रानी थी, हम शोक क्यूँ करें? क्या किसी भारतीय महापुरुष की मृत्यु पर ब्रिटेन में कभी शोक सभा हुई है?

*2*. वीर सावरकर पहले देशभक्त थे जिन्होंने एडवर्ड सप्तम के राज्याभिषेक समारोह के उत्सव मनाने वालों को त्र्यम्बकेश्वर में बड़े पोस्टर लगाकर कहा था कि गुलामी का उत्सव मत मनाओ।

*3*. वीर सावरकर ऐसे पहले बैरिस्टर थे जिन्होंने 1909 में ब्रिटेन में ग्रेज-इन परीक्षा पास करने के बाद ब्रिटेन के राजा के प्रति वफादार होने की शपथ नही ली इसलिए उन्हें बैरिस्टर होने की उपाधि का पत्र कभी नही दिया गया।

*4*. विदेशी वस्त्रों की पहली होली पूना में 7 अक्तूबर 1905 को वीर सावरकर ने जलाई थी |

*5.* वीर सावरकर पहले ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने विदेशी वस्त्रों का दहन किया, तब बाल गंगाधर तिलक ने अपने समाचार पत्र केसरी में उनको शिवाजी के समान बताकर उनकी प्रशंसा की थी जबकि इस घटना की दक्षिण अफ्रीका के अपने पत्र ‘इन्डियन ओपीनियन’ में गाँधी ने निंदा की थी |

*6.* वीर सावरकर पहले ऐसे देशभक्त लेखक थे जिनकी लिखी हुई पुस्तकों पर आजादी के बाद कई वर्षों तक प्रतिबन्ध ban लगा रहा |

*7.* वीर सावरकर पहले विद्वान लेखक writer थे जिन्होंने हिन्दू को परिभाषित करते हुए लिखा कि-‘आसिन्धु सिन्धुपर्यन्ता यस्य भारत भूमिका.पितृभू: पुण्यभूश्चैव स वै हिन्दुरितीस्मृतः’ अर्थात समुद्र से हिमालय तक भारत भूमि जिसकी पितृभू है जिसके पूर्वज यहीं पैदा हुए हैं व यही पुण्य भू है, जिसके तीर्थ भारत भूमि में ही हैं, वही हिन्दू है |

*8.* वीर सावरकर पहले ऐसे क्रान्तिकारी व्यक्ति थे जो समुद्री जहाज में बंदी बनाकर ब्रिटेन से भारत लाते समय 8 जुलाई 1910 को समुद्र में कूद गए थे और तैरकर फ्रांस पहुँच गए थे |

*9.* वीर सावरकर पहले क्रान्तिकारी व्यक्ति थे जिनका मुकदमा अंतरास्ट्रीय न्यायालय हेग में चला, मगर ब्रिटेन और फ्रांस आपस मे मिले होने के कारण सावरकर को न्याय नही मिला सका और उन्हें बंदी बनाकर भारत लाया गया |

*10.* वीर सावरकर विश्व के पहले क्रांतिकारी और भारत के पहले राष्ट्रभक्त थे जिन्हें अंग्रेजी सरकार ने दो आजन्म कारावास की सजा सुनाई थी |

*11.* वीर सावरकर पहले ऐसे देशभक्त थे जो दो जन्म कारावास की सजा सुनते ही हंसकर बोले- “चलो, ईसाई सत्ता ने हिन्दू धर्म के पुनर्जन्म सिद्धांत को तो मान लिया”

*12.* वीर सावरकर पहले राजनैतिक बंदी थे जिन्होंने काला पानी की सजा के समय 10साल से भी अधिक समय तक आजादी के लिए कोल्हू चलाकर 30 पोंड तेल प्रतिदिन निकाला |

*13.* वीर सावरकर ऐसे पहले राष्ट्रवादी विचारक थे जिनके चित्र को संसद भवन में लगाने से रोकने के लिए कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा परन्तु समकालीन राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम ने सुझाव पत्र को नकार दिया और वीर सावरकर के चित्र अनावरण राष्ट्रपति ने अपने कर-कमलों से किया।

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