राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान : SIERT

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (SIERT)

    राज्य में शिक्षा के गुणात्मक सुधार के लिए 1963 में इसकी स्थापना की गई। इसका उत्तरदायित्व है कि वह शैक्षिक क्षेत्र में परिवर्तन व परिवर्द्धन के लिए आवश्यक कार्यवाही करें।
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान SIERT
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान SIERT

राज्य के शिक्षा विभाग द्वारा प्रकाशित संदर्शिका में इसकी अध्यापक-शिक्षा में भूमिका को बताया है 


1. पूर्व प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्तर पर शिक्षक प्रशिक्षण हेतु पाठ्यक्रम का विकास। 


2. पूर्व प्राथमिक से उच्च प्राथमिक तक के शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम से सम्बन्धित परीक्षा और मूल्यांकन के क्षेत्र में अनुसंधान, सुधार, प्रशिक्षण, प्रसार और नवाचारनिष्ठ कार्य। 


3. सीनियर हायर सैकण्डरी सैकण्डरी विद्यालयों में व्यावसायिक निर्देशन सेवाओं की व्यवस्था। 


4. शिक्षकों, अधिकारियों के लिए सेवारत प्रशिक्षण अभिनवन एवं अनुवर्तन सम्बन्धी . समस्त कार्य-.


5. शैक्षिक प्रौद्योगिकी, दृश्य-श्रव्य शिक्षण सामग्री उपकरणों का विकास। 

6. निदानात्मक परीक्षा और उपचारात्मक शिक्षण हेतु विद्यालयों को सुझाव देना, . परामर्श देना परखों का आयोजन करना। 


7. प्राथमिक शिक्षा स्तर पर पौष्टिक आहार की व्यवस्था सम्बन्धी चेष्टा, अनुसंधान एवं प्रचार-प्रसार करना


8. छात्रों का बौद्धिक परीक्षण कर पिछड़े एवं प्रतिभावान छात्रों के लिए उचित मार्गदर्शन एवं सुविधाएँ उपलब्ध करवाना


9. पाठ्यक्रम के आधार पर पाठ्यपुस्तकों का निर्माण एवं मूल्यांकन करना। 


10. अनौपचारिक एवं प्रौढ़ शिक्षा साधन के रूप में प्राथमिक शिक्षा के सार्वजनीकरण एवं उसे लोकोपयोगी बनाने के लिए उपयोग में लेना। 


11. व्यावसायिक उत्पादनशीलता और समाजोपयोगी उत्पादन कार्य को शिक्षण संस्थाओं में प्रोत्साहन देना। 


एस.आई..आर.टी. के मुख्यतः निम्न क्षेत्र हैं -

(1) अनुसंधान

(2) शैक्षिक अनुसंधान

(3) सेवारत प्रशिक्षण

(4) पाठ्यक्रम विकास

(5) मूल्यांकन

(6) प्रचार एवं प्रसार 


    राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान का मुख्यालय उदयपुर में स्थित हैइसके मुख्य विभाग निम्न हैं 

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद 

प्रायः सभी राज्यों में राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषदें हैंराजस्थान, भी इसका अपवाद नहीं हैसभी राज्यों में शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषदों के समान कार्य हैं। 


राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, यपुर 

राजस्थान राज्य में विद्यालयी शिक्षा के गुणात्मक समुन्नयन के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित मेहरोत्रा समिति की अभिशंसा पर 11 नवम्बर 78 को नवीन रूप प्रदान की राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद की स्थापना उदयपुर में हुई। यह संस्थान राज्य के प्राथमिक, माध्यमिक शिक्षा निदेशालय बीकानेर के शैक्षिक सलाहकार का कार्य भी करता हैइसका वित्तीय प्रबंध राज्य सरकार द्वारा किया जाता है। 


संरचना 

    संस्थान की नीति निर्धारण के लिए गठित समिति के अध्यक्ष, शिक्षा आयुक्त एवं सचिव राजस्थान सरकार हैइस समिति में 13 विख्यात शिक्षा शास्त्री हैंसंस्थान का निदेशक मुख्य निष्पादन अधिकारी होता है

संस्थान के लक्ष्यों की पूर्ति के लिए निम्नलिखित 9 विभाग कार्यरत हैं


1. अध्यापक शिक्षा विभाग-

() सेवा पूर्व शिक्षा अनुभाग

() सेवारत शिक्षा अनुभाग


2. विज्ञान एवं गणित विभाग-. 

() विज्ञान अनुभाग 

() गणित अनुभाग

3. शैक्षिक आयोजन एवं प्रशासन विभाग 

() शैक्षिक आयोजन अनुभाग

(ब) शैक्षिक प्रशासन अनुभाग

() सामान्य प्रशासन अनुभाग


4. मानविकी एवं समाज विज्ञान विभाग 

() विज्ञान अनुभाग

() समाज विज्ञान अनुभाग


5. मनोवैज्ञानिक आधार पर व्यावसायिक शिक्षा विभाग-. 

() कार्यानुभव अनुभाग

() व्यावसायिक शिक्षा अनुभाग 

() मनोवैज्ञानिक आधार तथा शैक्षिक एवं व्यावसायिक निर्देशन अनुभाग


6. अनौपचारिक शिक्षा एवं वंचित वर्ग शिक्षा विभाग 

() अनौपचारिक शिक्षा अनुभाग

() वंचित. वर्ग शिक्षा विभाग


7.शैक्षिक प्रौद्योगिकी विभाग 

() दूरस्थ शिक्षा अनुभाग

() दृश्य शिक्षा अनुभाग


8. शिक्षा क्रम एवं मूल्यांकन विभाग .

() शिक्षाक्रम अनुभाग 

() मूल्यांकन एवं परीक्षा सुधार अनुभाग 



इसमें वर्तमान में शैक्षिक प्रौद्योगिकी विभाग का मुख्यालय अजमेर है। 

संस्थान के कार्य:- संस्थान के मुख्य कार्य निम्नानुसार हैं-

1. योजना निर्माण करना,

2. शोध और विकास कार्य करना,

3. प्रशिक्षण कार्य सेवा पूर्व एवं सेवारत शिक्षकों के लिए योजित करना,

4. शैक्षिक प्रसार कार्य करना,

5. शैक्षिक प्रायोजनाएं निर्माण करना,

6. मूल्यांकन का कार्य करना,

7. प्रकाशन एवं प्रचार करना,

8. शिक्षाक्रम का विकास करना,

9. शैक्षिक सामग्री का विकास करना

संस्थान के कार्यक्रम तथा प्रवृत्तियां ___


1. प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक उच्च माध्यमिक शिक्षकों और अनौपचारिक शिक्षा अनुदेशकों एवं पर्यवेक्षकों का प्रशिक्षण तथा अभिनवन। 


2. राज्य मूल्य परक शिक्षा के लिए कार्य


3. प्रधानाध्यापक एवं परिवीक्षण अधिकारियों का अभिनवन...


4. विज्ञान, गणित, पर्यावरण, अध्ययन तथा भाषा के किट तथा अन्य शिक्षा सामग्री का विकास। 


5. सेवारत अप्रशिक्षित अध्यापकों का प्रशिक्षण एवं अभिनवन। .


6. शिक्षा के नवाचारों पर प्रयोग तथा इनका व्यापक उपयोग करना। 


7. समाज और बालकों की आवश्यकताओं पर आधारित पाठ्यक्रम का विकास एवं नवीनीकरण... 


8. उन्नत पाठ्य-सामग्री, शिक्षण अधिगम सामग्री यथा पाठ्य-पुस्तक, कार्य पुस्तक शिक्षण संदर्शिका और शिक्षण सामग्री का विकास। 


9
. माध्यमिक उच्च माध्यमिक विद्यालयों में विज्ञान सुधार योजना का क्रियान्वयन

10. शैक्षिऔर व्यावसायिक निर्देशन

11. उच्च माध्यमिक शिक्षा में व्यावसायीकरण के लिए कार्यक्रम

12. शैक्षिक मूल्यांकन तकनीकों में शिक्षक प्रशिक्षण का आयोजन करना

13. परीक्षा पद्धति में सुधार तथा जांच उपकरणों का विकास करना

14. सामुदायिक ज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रम
Kkr Kishan Regar

Dear Friends, I am Kkr Kishan Regar, a passionate learner in the fields of education and technology. I constantly explore books and various online resources to expand my knowledge. Through this blog, I aim to share insightful posts on education, technological advancements, study materials, notes, and the latest updates. I hope my posts prove to be informative and beneficial for you. Best regards, **Kkr Kishan Regar** **Education:** B.A., B.Ed., M.Ed., M.S.W., M.A. (Hindi), P.G.D.C.A.

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