स्कीमा का सम्प्रत्यय तथा इसके प्रकार
स्कीमा
स्कीमा से तात्पर्य ऐसी मानसिक संरचना से है जो व्यक्ति विशेष के मस्तिष्क में सूचनाओं को संगठित तथा व्याख्यायित करने हेतु विद्यमान होती है। यह स्कीमा दो प्रकार का होता है।schema ka arth, स्कीमा का अर्थ तथा इसके प्रकार, स्कीमा सिद्धांत क्या है?, मनोविज्ञान में स्कीमा क्या है, संज्ञानात्मक का क्या अर्थ है?
1. साधारण
स्कीमा
2. जटिल
स्कीमा।
साधारण स्कीमा से तात्पर्य स्कीमा मोटरकार खिलौने के स्कीमा से तात्पर्य समझा जा सकता है।
इसी प्रकार
अंतरिक्ष का निर्माण कैसे हुआ का स्कीमा जटिल स्कीमा का उदाहरण है।
स्कीमा सिद्धान्त इस बात का प्रतिपादित करता है कि
पाठ्य अंश से सीखने एवं . समझने के लिए हमें इसे अपने पूर्वज्ञान से जोड़ना ही
पड़ेगा। (रूमेल हार्ट, 1980), वास्तव में स्कीमा शब्द का
पहली बार प्रयोग बारलेट द्वारा सन् 1932 में किया गया जिसमें
उसने स्कीमा की पूर्व प्रतिक्रियाओं एवं अनुभवों का सक्रिय संगठन कह कर प्रतिपादित
किया।
Schema ka Arth |
भाषा के संदर्भ में स्कीमा
सिद्धान्तों को स्पष्ट करते हुए जो सबसे महत्वपूर्ण बात कही जाती है वह यह है कि
लिखा हुआ कोई भी वाक्य या वाक्यों के समूह अपने आप में कोई विशेष अर्थ नहीं रखता।
बल्कि वह तो केवल एक दिशा की तरफ इंगित करता है जिससे कि पाठक स्वयं उसके अर्थ का
निर्माण कर सके। पाठक अपने पूर्वज्ञान के आधार पर उस वाक्यांश का अर्थ ग्रहण
करताहै। यह प्रारम्भिक पाठक का पूर्व ज्ञान एवं ज्ञान संरचना स्कीमेटा के मान से
जाना जाता है। किसी भी पाठक का स्कीमेटा एक ऊपर से नीचे के क्रम में व्यवस्थित
रहता है। जिसमें कि साधारण ज्ञान ऊपर के क्रम तथा विशेष ज्ञान नीचे के क्रम में
व्यवस्थित रहता है। स्कीमा सिद्धान्त के अनुसार किसी भी वाक्यांश को समझने हेतु
पाठक का पूर्व ज्ञान एवं वाक्यांश के बीच समन्वय स्थापित करना आवश्यक होता है। ठीक
तरीके से समझने हेतु पूर्वज्ञान एवं वर्तमान पठन के बीच समन्वय स्थापित होना ही
चाहिए
स्कीमेटा का प्रकार -
1. औपचारिक
स्कीमेटा
2. विषयवस्त
सम्बन्धी स्कीमेटा
3. सांस्कृतिक
स्कीमेटा
4. भाषाई
स्कीमेटा
1. औपचारिक
स्कीमेटा:-
औपचारिक स्कीमेटा से तात्पर्य विभिन्न
प्रकार आलांकारिक संरचनात्मक वाक्यांशों के संदर्भ का पूर्व ज्ञान से है। यदि
दूसरे शब्दों में कहा जाय तो औपचारिक का स्कीमों से तात्पर्य विभिन्न प्रकार के
संप्रत्ययों के प्रस्तुतीक से है। विभिन्न प्रकार के पाठ जैसे कहानियाँ, पत्र, भाषण, कविताएँ, गद्यांश आदि की पहचान एक-दूसरे से भिन्नता के आधार पर ही होता है। इनके
आधार में निहित गं है उसे औपचारिक स्कीमेटा कहा जाता है। उदाहरण के लिए बहुत सी
कहानियों के आधार में जो स्कीमेटा होता है। वह निम्न प्रकार का होता है।
कहानी - व्यवस्था (स्थिति
+ स्थिति) + प्रकरण + घटनाक्रम + प्रतिक्रिया
कहानियाँ इस तरह की
पृष्ठभूमि में होती है जिससे कि समय, स्थान एवं चरित की पहचान हो सके तथा साथ ही साथ
विभिन्न प्रकरण विभिन्न प्रतिक्रियाओं को जन्म देता है। विभिन्न प्रकार की विधाएँ
में विभिन्न प्रकार संरचनाएँ होती है।
2. विषयवस्तु
संबंधी स्कीमेटा -
विषय वस्तु संबंधी स्कीमेटा से मूलत: वाक्यांश (पाठ) के विषय वस्तु संबंधी
पृष्टभूमि ज्ञान से संबंधित है। (करेली एण्ड एस्टर होल्ड, 1983), इसका जुड़ाव किसी शीर्षक विशेष के संप्रत्यात्मक ज्ञान एवं सूचना है जो कि
एक व्यवस्थित तरीके से जुड़ा हुआ है। विषय वस्तु संबंधी स्कीमेटा विशेष घटनाओं एवं
वस्तुओं का एक खुला सेट होता है। उदाहरण के लिए यदि हम किसी रेस्तरों में उपलब्ध
सर्विस, मीनू, विभिन्न प्रकार के भोजन
का ऑर्डर देना, विल अदा करना, टिप देना
आदि की सूचना से होगा। विषय-वस्तु संबंधी स्कीमेटा ज्यादातर संस्कृति वाध्य होता
है। इसलिए सांस्कृतिक स्कीमा को सामान्यतया विषय-वस्तु स्कीमा में वर्गीकत किया
जाता है।
3. सांस्कृतिक
स्कीमेटा :-
जॉनसन (1981) एवं कैरली (1981) के अध्ययनों ने इस बात को पुष्ट किया है कि किसी पाट (वाक्यांश)में निहित
सांस्कृतिक ज्ञान पाठक के स्वयं के सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से हन्द करता है। स्वयं
के सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से संबंधित पाठ या वाक्यांशों को दूसरे सांस्कृतिक
पृष्टभूमि से पाट या वाक्यांश के मुकाबलें समझना सहज एवं आसान होता है। विभिन्न
सांस्कृतिक समूह उसी पाट या वाक्यांश को अलग अलग समझते है और उसकी व्याख्या करते
हैं। किसी पाठ के पूर्ण रूप से समझने के लिए. उसकी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि की समझ
अति-आवश्यक है।
4. भाषाई
स्कीमेटा :-
भाषाई स्कीमा का संबंध व्याकरण एवं शब्दों के ज्ञान स है। यह किसी भी पाठ
को समझने में अति महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इसका (1983) के अनुसार अच्छे पाठक किसी पाठ-विशेष को अच्छी तरह व्याख्यायित करत के
साथ-साथ उसे अच्छी तरह से डिकोड भी करते हैं। बिना अच्छी डिकोटिग दाता के कोई भी
अच्छा पाठक बन ही नहीं सकता है।
स्कीमेटा की प्रकृति :-
स्कीमा सिद्धान्त को मल धारणा यह है कि मानव स्मृति मलतः शब्दार्थ की तरह व्यवस्थित है न कि वर्णमाला क्रमों के अनुसार और न ही ध्वन्यात्मक के अनुसार इसके अलावा स्मृति एक थेसारस की तरह व्यवस्थित है न कि शब्दकोष की तरह, कोई भी व्यक्ति विशेष तथा प्रत्येक वस्तु की तरह स्कीमेटा रखता है। चाहे वो वस्तु दिखने में साधारण हो या क्लिष्ट हो। जैसे व्यक्ति कलम, फूटबाल या चश्मा स्कीमेटा रखता है वेसे ही वह प्यार, क्रोध, या फिर जलन जैसे व्यक्ति सम्प्रत्ययों का स्कीमेटा भी रखता है। वह भिन्न-भिन्न क्रियाओं का भी स्कीमेटा रखता है जैसे किसी वस्तु को खरीदना, फुटबाल खेलना या फिर सेमीनार में उपस्थित होना इत्यादि। schema ka arth, स्कीमा का अर्थ तथा इसके प्रकार, स्कीमा सिद्धांत क्या है?, मनोविज्ञान में स्कीमा क्या है, संज्ञानात्मक का क्या अर्थ है?