राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के उद्देश्य, मूल तत्व एवं विशेषता
नमस्कार प्रिय मित्रों,
आज के इस लेख में हम आपको बताने जा रहे है राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के उद्देश्य, मूल तत्व एवं विशेषता क्या है ? राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के उद्देश्य, मूल तत्व एवं विशेषता को विस्तार से समझने का प्रयास करेंगे|
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 |
rashtriya shiksha niti 1986, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के उद्देश्य व मूल तत्व, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 पीडीएफ, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 notes pdf, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 को समझाइए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1968 notes, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 की आलोचना, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 पर निबंध
आज देश आर्थिक व तकनीकी विकास की ऐसी स्थिति में पहुँच गया है जहां पहले विकसित संसाधनों से अधिकतम लाभ प्राप्त करने व परितर्वनों के लाभों के सभी वर्गों के लोगों तक पहुँचाने के लिए प्रयास करने की जरूरत है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने का एक प्रमुख मार्ग शिक्षा है। इस लक्ष्य को ध्यान में रखकर भारत सरकार ने जनवरी, 1985 में यह घोषणा की कि देश के लिए एक नई शिक्षा नीति निर्मित की जायेगी। पहले वर्तमान शैक्षिक परिदृश्य का व्यापक मूल्यांकन किया गया व फिर अगस्त, 1985 में 'शिक्षा की चुनौती: नीति सम्बन्धी परिप्रेक्ष्य' नामक दस्तावेज प्रकाशित किया गया। इस दस्तावेज से देशव्यापी बहस का सूत्रपात हुआ। भिन्न क्षेत्रों से मिले विचारों व सुझावों का सावधानीपूर्वक अध्ययन करने के बाद मई, 1986 में सरकार ने नई शिक्षा नीति का प्रारूप प्रस्तुत किया। यह प्रारूप 12 मुख्य खण्डों में विभक्त है, जिनमें से प्रथम खण्ड व उसके 15 बिन्दु प्रस्तावनात्मक हैं। शेष 11 खण्डों के शीर्षक हैं -
(1) शिक्षा का सार तथा भूमिका,
(2) शिक्षा की राष्ट्रीय प्रणाली,
(3) समानता के लिए शिक्षा,
(4) विभिन्न स्तरों पर शैक्षिक पुनर्गठन,
(5) तकनीकी व प्रबन्ध शिक्षा,
(6) प्रणाली का क्रियान्वयन,
(7) शिक्षा की विषय-वस्तु व प्रक्रिया का अभिनवीकरण,
(8) शिक्षक,
(9) शिक्षा का प्रवन्ध,
(10) संसाधन व समीक्षा और
(11) भविष्य।
rashtriya shiksha niti 1986, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के उद्देश्य व मूल तत्व, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 पीडीएफ, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 notes pdf, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 को समझाइए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1968 notes, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 की आलोचना, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 पर निबंध
राष्ट्रीय
शिक्षा नीति के उद्देश्य
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित थे --
(1) छात्रों में वैज्ञानिक मनोवृत्ति के साथ-साथ चारित्रिक और आध्यात्मिक
मूल्यों का विकास करना।
(2) छात्रों में कामनिष्ठा, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक
न्याय के प्रति वचनबंद्धता देश की एकता एवं अखण्डता तथा अन्तर्राष्ट्रीय समाज को
बढ़ावा देना।
(3) शिक्षा के द्वारा छात्रों का शारीरिक, बौद्धिक,
सौन्दर्यपरक विकास करना।
(4) शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन की वाहिका बनाना।
(5) छात्रों में परिस्थितियों की विषमता को बदल डालने का आत्मविश्वास पैदा
करना।
(6) सामाजिक, तकनीकी तथा सांस्कृतिक परिवेश के प्रति
जागरूकता पैदा करना।
(7) शिक्षा के द्वारा 'व्यक्ति की सामाजिक व आर्थिक
उन्नति' उसकी क्षमता और सृजनशीलता को बढ़ाना।
(8) वर्तमान विशिष्ट वर्गीय शिक्षा को जनजागरण की शिक्षा के रूप में परिवर्तन
करना।
वर्तमान
शिक्षा प्रणाली में हम इस नीति के निम्न तत्वों के क्रियान्वयन पर ध्यान देकर
सुधार कर सकते हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मूल तत्त्व का निम्नलिखित प्रकार से
स्पष्ट किया जा सकता है -
1. राष्ट्रीय
शिक्षा कार्यक्रम (National Education Programme) -
(i) समूचे देश में एक समान 10 + 2 +3 प्रणाली लागू की
जाएगी। 10 वर्षीय पाठ्यक्रम उपविभाजन के अन्तर्गत 5 वर्षीय निम्न प्राथमिक, 3 वर्षीय उच्च प्राथमिक तथा 2
वर्ष
की
हाई स्कूल स्तर की शिक्षा होगी।
(ii) राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली राष्ट्रीय शिक्षाक्रम एक ढाँचे पर आधारित होगी।
राष्ट्रीय शिक्षा क्रम के अन्तर्गत एक सामान्य कोर के अतिरिक्त परिवर्तनशील विभाग
होंगे। सामान्य कोर में राष्ट्रीय तादात्म्य में सहायक तत्त्व भारतीय स्वतन्त्रता
आन्दोलन का इतिहास, संवैधानिक दायित्व आदि सम्मिलित किए
जाएंगे।
2. मूल्यों की शिक्षा (Education of Values) -
सार्वभौमिक
प्रकृति के मूल्यों की शिक्षा जो व्यक्तियों की समानता एवं एकता पर बल देकर
अन्धकार, धर्मान्धता, हिंसा, अन्धविश्वास और भाग्यवादिता के निराकरण पर बल।
3. विकलांगों की शिक्षा (Education of Handicaped) -
शारीरिक
और मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियों को सामान्य समुदाय के साथ सहभागी बनाने में
बल देना। विकलांगों के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण, अधिक
विकलांगों के लिए जिला स्तर पर छात्रावास तथा स्वैच्छिक प्रयत्नों पर विशेष बल
दिया जाएगा।
4. अनुसूचित जातियों व अनुसूचित जनजातियों की शिक्षा (Education of
S.T.& S.C.) -
अनुसूचित
जातियों के शैक्षिक विकास द्वारा गरीब परिवारों के बच्चों को स्कूल भेजने के लिए
प्रलोभन, अनौपचारिक शिक्षा तथा छात्रवृत्ति योजना, निदानात्मक शिक्षण, शिक्षकों की नियुक्ति, छात्रावास सुविधा आदि उपलब्ध कराई जाएगी। अनुसूचित, जनजाति
क्षेत्रों में प्राथमिक विद्यालयों की स्थापना की जाए। आश्रम विद्यालय, व्यावसायिक पाठ्यक्रम की गवस्था की जाएगी।
rashtriya shiksha niti 1986, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के
उद्देश्य व मूल तत्व, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 पीडीएफ,
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 notes pdf, राष्ट्रीय
शिक्षा नीति 1986, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 को समझाइए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति,
1968 notes, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 की
आलोचना, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 पर निबंध
5. गणित एवं
विज्ञान शिक्षण (Methamatics and Science Teaching)
गणित शिक्षण को आधुनिक तकनीकी
उपकरणों के अनुरूप पुर्नगठित किया जाएगा। विज्ञान शिक्षा कार्यक्रम इस प्रकार
तैयार किए जायेंगे कि वह शिक्षार्थियों में समस्या समाधान एवं निर्णय क्षमता तथा विज्ञान, कृषि, उद्योग तथा जीवन के सभी पक्षों पर बल दें।
6. अल्पसंख्यकों की
शिक्षा (Education of Minorities) –
अल्पसंख्यक समुदायों की शिक्षा का
गुणात्मक और सामाजिक न्याय की दृष्टि से सर्वसाधारण योजना तैयार की जाए |
7. शिक्षक (Teacher)
–
शिक्षकों को चयन विधि की योग्यता, वस्तुनिष्ठता तथा व्यावहारिकता वांछनीयता की दृष्टि से पुनर्गठित किया
जाएगा। शिक्षक का मूल्यांकन प्रणाली खुली, सहभागिता युक्त व
प्रदत्त आधारित होगी। वेतन, सेवा शर्तों तथा पदोन्नति के
अवसरों में वृद्धि के साथ उत्तरदायित्वों के आदर्शों के अनुसार अच्छी निष्पत्ति के
लिए प्रलोभन व अनणित्ति के लिए दण्ड की व्यवस्था होगी। शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय
आचार संहिता निर्मित की जाएगी और उसको अनुपालना सुनिश्चित की जाएगी।
8. परीक्षा प्रणाली
(Exam Method) –
छात्रों में रटने की प्रवृत्ति को
निरूत्साहित करके निरन्तर एवं समग्र मूल्यांकन को प्रभावी बनाया जाएगा। अंकों के
स्थान पर ग्रेड तथा माध्यमिक स्तर से ही क्रमिक रूप से सेमिस्टर प्रणाली लागू की
जाएगी साथ ही छात्र को फेल ना करके ग्रेड प्रदान किया जाएगा।
9. स्त्री शिक्षा (Woman
Education)-
विभिन्न पाठ्यक्रमों द्वारा स्त्री
शिक्षा को प्रोत्साहित किया जाए। सयमबद्ध योजनाओं द्वारा स्त्री निरक्षरता उन्मूलन, प्राथमिक शिक्षा में पहुँचव निरन्तरता सुनिश्चित की जाएगी। व्यावसायिक
तकनीकी प्रशिक्षण पर जोर दिया जाएगा।
10. पूर्व
बाल्यावस्था शिक्षा तथा प्राथमिक शिक्षा –
इसके अन्तर्गत निम्नलिखित बातों को
रखा गया है -
(i) प्राथमिक विद्यालयों में न्यूनतम मूलभूत सुविधाओं को व्यवस्था की जाएगी।
प्रत्येक विद्यालय में कम से कम दो अध्यापक होंगे जिनमें कम से कम एक महिला होगी।
(ii) बाल शिक्षा एवं शिक्षा कार्यक्रम को उच्च प्राथमिक दी जाएगी और इन्हें बाल
विकास कार्यक्रमों के साथ समन्वित किया जाएगा।
(iii) विद्यालय छोड़ने वाले बालकों के लिए वृहद एवं व्यवस्थित अनौपचारिक शिक्षा
कार्यक्रम चलाया जाएगा। यह प्रयल किया जाएगा कि इसकी गुणवत्ता किसी भी प्रकार से
औपचारिक शिक्षा से कम न हो। 11 वर्ष के तथा 14 वर्ष तक के बालकों के लिए नि:शुल्क शिक्षा उपलब्ध करा दी जाएगी।
(iv) प्राथमिक शिक्षा में सार्वजनिक प्रवेश, 14 वर्ष की
आयु तक ठहराव और गुणात्मक वृद्धि की जाएगी। शारीरिक दण्ड का शिक्षा प्रणाली में
कोई स्थान नहीं होगा।
11. पुस्तकों की
गुणवत्ता (Quality of Books) –
पुस्तकों की गुणवत्ता में सुधार
सुजनात्मक लेखक को प्रोत्साहन, लेखकों के हितों की रक्षा के
साथ सभी शिक्षा संस्थाओं में पुस्तकालय की व्यवस्था और पुस्तकालयाध्यक्षों के स्तर
पर में अपेक्षित संशोधन एवं सुधार करने पर बल।
12. ग्रामीण
विश्वविद्यालय (Rural University) –
ग्रामीण अंचलों के रूपान्तरण के लिए
महात्मा गाँधी के विचारों पर आधारित ग्रामीण विश्वविद्यालय का लया पैटर्न विकसित
एवं एकीकृत करने पर बल दिया जाएगा।
13. नवोदय विद्यालय
(Navodaya Vidhhyalaya)-
देश के विभिन्न भागों के प्रतिभावान
बालकों को जिनमें से अधिकांश ग्रामीण होंगे, तीव्रता गति से आगे
बढ़ने के अवसर प्रदान करने के लिए प्रत्येक जिले में एक नवोदय विद्यालय स्थापित
किया जाएगा। इन विद्यालयों में नवाचार व प्रयोग की पूर्ण सुविधा उपलब्ध रहेगी। इन
विद्यालयों में कुल सीटों के 75 प्रतिशत ग्रामीण और एक तिहाई
छात्राएँ अभिभावकों के आयु सीमा के प्रतिबन्ध के बिना
अध्ययन करेंगे।
14. माध्यमिक
शिक्षा का व्यावसायीकरण (Vocationalization of Secondary Education) –
उच्च माध्यमिक शिक्षार्थियों को
व्यावसायिक पाठ्यक्रम उपलब्ध कराया जायेगा। कार्यानुभव को शिक्षा के प्रत्येक स्तर
पर आवश्यक तत्त्व के रूप में स्वीकार किया गया है। इसके लिए सुसंगठित एवं क्रमिक
कार्यक्रम, शिक्षार्थियों की रुचियों, योग्यताओं
तथा स्तर की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर नियोजित किए जाएँ।
15. प्रौढ़ शिक्षा
(Adult Education) –
निरक्षरता उन्मूलन में
शिक्षार्थियों, अध्यापकों, युवाओं, स्वैच्छिक संगठनों और नियोक्ताओं का सहयोग लिया जाएगा। सघन साक्षरता
कार्यक्रमों द्वारा प्रौढ़ शिक्षा के सामान्य एवं आवश्यकता बरुचि पर आधारित
व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम बनाने पर बल दिया जाएगा।
16. प्रौद्योगिक
एवं प्रबन्ध शिक्षा (Technical and Management Education)-
अर्थव्यवस्था के बुनियादी ढाँचे और
सेवा क्षेत्रों के साथ-साथ असंगठित ग्रामीण क्षेत्रों को भी उन्नत तकनीकी एवं
प्रजनधीय जनशक्ति की आवश्यकता है। वर्तमान व उभरती प्रौद्योगिकी दोनों सतत् शिक्षा
को प्रोत्साहन देना तथा महिलाओं, आर्थिक व सामाजिक रूप से कमजोर
वर्गों व विकलांगों के लाभ के लिए तकनीकी शिक्षा के समुचित औपचारिक तथा अनौपचारिक
कार्यक्रम तैयार करना।
17.उच्च शिक्षा एवं खुला
विश्वविद्यालय (Higher Education and Open University) –
उच्च शिक्षा कार्यक्रमों को
विशेषज्ञता की मांग को ध्यान में रखते हुए पुनर्गठित किया जाएगा। विश्वविद्यालय
में शोध के लिए अधिक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। 1985 में
स्थापित इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय खुला विश्वविद्यालय को समद्ध किया जाएगा।
18. कम्प्यूटर
साक्षरता –
चूंकि कम्प्यूटर एक महत्वपूर्ण व आवश्यक साधन बन
गया है। अत: कम्प्यूटर के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी और उसके उपयोग में
प्रशिक्षण व्यावसायिक शिक्षा का अंग बनाया जाएगा। कम्प्यूटर साक्षरता के कार्यक्रम
स्कूल स्तर से ही बड़े पैमाने पर आयोजित किया जाए।
19. उपाधि रोजगार
असम्बद्धता एवं राष्ट्रीय परीक्षण सेवा –
चयनित क्षेत्रों में उपाधि को
रोजगार से असम्बद्ध कर राष्ट्रीय परीक्षण सेवा' जैसी उपयुक्त
प्रणाली वांछित चरणों में स्थापित कर दी जाएगी जो स्वैच्छिक रूप में परीक्षण
संचालित करके विशिष्ट व्यवसायों के लिए प्रत्याशियों की उपयुक्तता निर्धारित
करेगी।
1. शिक्षा को सर्वाधिक महत्त्व -
2. राष्ट्रव्यापी शिक्षा संरचना -
(A) प्राथमिक स्तर - प्रथम 5 वर्ष
3. राष्ट्र-व्यापी पाठ्यक्रम की रचना -
4. शैक्षिक विषमताओं को कम करना -
5. प्रभावकारी शैक्षिक व्यवस्था --
6. शैक्षिक अपव्यय समाप्त करने की व्यवस्था -
7. ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड -
8. नवोदय विद्यालय -
9. व्यावसायिक शिक्षा
10. मुक्त विद्यालयों की स्थापना -
11. डिग्री की नौकरी से असम्बद्धता-
12. शैक्षिक प्रगति का मूल्यांकन -
- इस प्रकार उपरोक्त विशेषताओं का विवरण यह स्पष्ट करता है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 वर्तमान शैक्षिक आवश्यकता के संदर्भ में अत्यन्त सटीक व प्रभावपूर्ण है। इसके क्रियान्वयन से देश के विकास को सही दिशा व उचित गति प्रदान की जा सकती है। आवश्यकता केवल इस बात की है कि इसे सही तरीके से व पूर्ण ईमानदारी के साथ लागू व क्रियान्वित किया जाए।
VERY WELL EXPLEN SIR