अधिगम के क्षेत्र सिद्धान्त
अधिगम का चिन्ह - पूर्णाकार सिद्धान्त
अधिगम का चिन्ह - पूर्णाकार सिद्धान्त
( Sign - Gestalt Theory of Learning )
इस मत का प्रतिपादन टालमैन किया । टालमैन के इस सिद्धान्त का आधार पूर्णाकारवाद है । टालमैन की मान्यता है कि मानव का व्यवहार उद्देश्यपूर्ण होता है । अधिगम के चिह्न तथा आशाओं को वह अधिक महत्व देता है । उसके अनुसार उद्दीपन ( Stimulus ) में अर्थ उसी समय उत्पन्न होता है जबकि वह व्यक्ति की आवश्यकताओं और उद्देश्यपूर्ति में सहायक होते हैं । टालमैन का यह मत प्रयोजनवादी मनोविज्ञान पर आधरित है । यह प्रयोजन को किसी क्रिया को सीखने का केन्द्र बिन्दु मानता है । जी . लेस्टर एण्डरसन के अनुसार- " टालमैन के सिद्धान्त में केवल गतियों का ही अधिगम नहीं प्राप्त किया जाता है बल्कि चिह्नों या आशाओं का भी अधिगम प्राप्त किया जाता है । क्रमिक परिस्थितियों में गतियाँ एक जैसी नहीं मानी जा सकती । अधिगन्ता परिस्थिति को प्रत्यक्ष से मापता है और इन प्रत्यक्ष ज्ञानों के अनुसार ही अनुक्रिया करता है । यह माना जाता है कि इन प्रत्यक्ष ज्ञानों के अनुसार ही सम्बन्ध होते हैं परन्तु उनका स्वरूप अभी ज्ञात नहीं है , किन्तु टालमैन और अन्य लोगों ने इस संकल्प को अभिव्यक्त करने के लिए कि तंत्रिका की रचना में कहीं चिन्हों , आशाओं और लक्ष्यों के प्रत्यक्ष ज्ञान के साथ सह - सम्बन्ध विद्यमान हैं , एक शब्द का प्रयोग किया गया है , यह शब्द है- ' संज्ञात्मक रचना ' जो अब भी पूरी तरह से स्पष्ट रूप से वर्णित नहीं किया गया किन्तु यह व्यवहार पर आधारित एक अनुमान है ।
टालमैन के सिद्धान्त में ज्ञानात्मक ( Cognitive ) व्यवहार को महत्व दिया गया है । टालमैन का मत उद्देश्यात्मक व्यवहार ( Purposive behaviour ) पर निर्भर करता है । इस मत को इन नामों से पुकारा जाता है
अधिगम के क्षेत्र सिद्धान्त : अधिगम का चिन्ह - पूर्णाकार सिद्धान्त
- 1. चिह्न पूर्णाकारवाद ( Sign - Gestalt Theory ) ,
- 2. सम्भावना सिद्धान्त ( Expectancy Theory ) , एवं
- 3. ज्ञानात्मक सिद्धान्त ( Cognitive Theory ) ।
एडवर्ड सी . टॉलमैन ( Edward C. Talman ) ने अपने सिद्धान्त का प्रतिपादन ' पशुओं तथा मनुष्यों में उद्देश्यात्मक व्यवहार ' ( Purposive behaviour in animals and men ) ' प्रेरक युद्ध की ओर ' ( Drives , towards war ) तथा कुछ निबन्धों में किया है । टॉलमैन व्यवहारवादी था । उसने व्यवहार को ग्रामाणु विलयन ( Molar ) तथा आणविक ( Molecular ) की भाँति समझा है । इसका आधार स्नायु ( Nerves ) मांसपेशियाँ ( Muscles ) तथा ग्रन्थियाँ ( Glands ) हैं । अनेक चिन्ह अधिगम के समय उभरते हैं । इसलिए टॉलमैन का सिद्धान्त ' चिन्ह पूर्णाकार ' ( Sign Gestalt ) मत भी कहा गया है ।
टॉलमैन का यह मत अधिगम के चिन्हों के अवबोध पर बल देता है । ये चिन्ह ही आवश्यकता की पूर्ति करते हैं । उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये रास्तों , विधियों आदि का ज्ञान देता है । व्यक्ति जब किसी भी क्रिया का अधिगम करता है तो सबसे पहले समस्या के समाधान हेतु अनेक तत्त्व एकत्र करता है । इन तत्वों के अनुरूप हम प्रतिक्रिया करते हैं । अधिगम का अर्थ विभिन्न उद्दीपनों के सम्बन्धों को पहचानना है । व्यक्ति की प्रतिक्रिया का आधार आशाओं एवं उद्देश्यों का प्रत्यक्षीकरण है ।
अधिगम के क्षेत्र सिद्धान्त : अधिगम का चिन्ह - पूर्णाकार सिद्धान्त
इस सिद्धान्त की विशेषताएँ इस प्रकार है :
- 1. यह सिद्धान्त संज्ञानात्मक ( Cognitive ) रचना पर बल देता है । इसमें चिन्ह आशा तथा लक्ष्यों का निवेश होता है ।
- 2. भौतिक विज्ञान में ग्रामाणु का विशेष महत्व है । यही अनुकरण मनोविज्ञान में भी किया गया है ।
- 3. सीखने वाला अनुक्रियाओं का अधिगम उद्दीपनों के प्रत्यक्ष ज्ञान के रूप में करता है ।
- 4. व्यवहार का परिणाम लक्ष्य की पूर्ति होता है ।
अधिगम के क्षेत्र सिद्धान्त : अधिगम का चिन्ह - पूर्णाकार सिद्धान्त
चिह्न पूर्णाकार मत : शिक्षा
( Sign Gestalt Theory : Education )
टॉलमैन का मत शिक्षा में कतिपय धारणाओं की व्याख्या करता है । यद्यपि शिक्षक संज्ञानात्मक रचना ( Structure ) चिह्न ( Sign ) आदि शब्दों का प्रयोग तो नहीं करते परन्तु शिक्षक के समक्ष इसका क्या अर्थ है , क्या समझें , आदि वाक्यों का प्रयोग टॉलमैन के सिद्धान्त की पुष्टि करते हैं । टॉलमैन के अनुसार- “ उन लोगों का व्यवहार जो अधिगम प्राप्त करते हैं , गतियों की अन्य तांत्रिका श्रृंखला प्रदर्शित नहीं करता , बल्कि यह प्रदर्शित करता है कि व्यवहार में बुद्धि कार्य करती है ।
अधिगम के क्षेत्र सिद्धान्त : अधिगम का चिन्ह - पूर्णाकार सिद्धान्त
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