शिक्षा में तकनीकी और शिक्षा की तकनीकी
पूर्व में शिक्षण कार्य कक्षाओं की चार दीवारों तक सीमित था तथा एक निश्चित तौर तरीके से शिक्षा दी जाती थी । धीरे - धीरे समय के साथ शिक्षण प्रदान करने के तरीके में लचीलापन आया और विभिन्न तकनीकों का उपयोग शिक्षा प्रदान करने में किया जाने लगा ।
शिक्षा में तकनीकी का उपयोग दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है ताकि शिक्षण - अधिगम प्रक्रिया को प्रभावी बनाया जा सके । इसके अतिरिक्त , शिक्षा में विभिन्न विधियों एवं तरीकों का विकास हुआ है जिसमें शिक्षण को और अधिक सुग्राही बनाया जा सके । शिक्षा में विभिन्न तकनीकी उपकरणों के प्रयोग को दृश्य श्रव्य सामग्री के नाम से जाना जाता रहा है , परन्तु अब नये सम्प्रत्ययों के साथ नवीन विधा एवं तकनीकों का विकास हुआ है । अब शैक्षिक तकनीकी को ( i ) शिक्षा में तकनीकी ( i ) शिक्षा की तकनीकी , के रूप में देखा जाता है ।
शिक्षा में तकनीकी - निर्देशन एवं अधिगम हेतु उपयोगी इलेक्ट्रोमेकेनिकल उपकरणों का उपयोग करना शिक्षा में तकनीकी है । यह हार्डवेयर तकनीकी कहलाती है । हार्डवेयर तकनीकी को तीन मुख्य भागों में विभाजित किया जा सकता है ।
शिक्षा की तकनीकी- शिक्षा की तकनीकी के अन्तर्गत विभिन्न शिक्षण विधियाँ , शिक्षण व्यूह रचना , सूक्ष्म शिक्षण कौशल , शिक्षक का एक इकाई व्यवहार ( Unit behaviour ) सम्मिलित होते हैं । शिक्षा में तकनीकी ( Technology in Education ) तथा शिक्षा की तकनीकी ( Technology of Education ) यह दोनों ही शब्दावली भ्रमित करने वाली है , क्योंकि दोनों ही उच्चारण की दृष्टि से समानार्थ प्रतीत होते हुए भी दोनों के अर्थ में बहुत अन्तर है । ' शिक्षा में तकनीकी केवल तकनीकी के प्रयोग एवं शिक्षा प्रदान करने के तरीके तथा अधिगम को आसान बनाने तक ही सीमित नहीं , अपितु शिक्षा के लिए ' तकनीकी उपकरण ' बनाने वालों के लिए भी एक क्षेत्र है , जबकि ' शिक्षा की तकनीकी ' शैक्षिक तकनीकी भी कहलाती है । वास्तविक रूप में सूचना तकनीकी ( Information Technology ) का कक्षाकक्ष में प्रयोग ही शिक्षा की तकनीकी है । इसके अतिरिक्त अन्य अन्तर विस्तार से निम्नलिखित है :
शिक्षा में तकनीकी
1. मानवीय क्षमता के विकास हेतु ' शिक्षा में तकनीकी यद्यपि ' Hardware ' , तथा ' Internet से सम्बंधित है , परन्तु इसका क्षेत्र सीमित नहीं हैं ।
2. " शिक्षा में तकनीकी शिक्षक तथा छात्र दोनों को आसान तथा द्रुत गति से शिक्षा को प्राप्त करने में मदद करता है । शिक्षक द्वारा निदेशित सॉफ्टवेयर के माध्यम से विद्यार्थी बिना शिक्षक के स्वयंमेव भी सीख सकता है ।
3. इसकी उत्पत्ति शिक्षा में भौतिक विज्ञान तथा इंजीनियरिंग शिक्षा के उपयोग से हुई हैं ।
4. इसका सम्बन्ध शिक्षण सामग्री के प्रभावी उपयोग से होता है ।
5. यह इंजीनियरिंग के सिद्धांतों पर आधारित होता है ।
6. समय , स्थान , आवश्यकता के अनुरूप इसके उपयोग से शिक्षण सोपानों में अधिक परिवर्तन संभव नहीं है ।
7. यह अधिक संख्या में विद्यार्थियों को एक साथ पढ़ाने तथा कार्य करने में समर्थ बनाती है अतः कम खर्चीली है ।
शिक्षा की तकनीकी
1. ' शिक्षा की तकनीक ' अधिगम प्रक्रिया में वैज्ञानिक ज्ञान के संसाधनों के व्यवस्थित प्रयोग से है , जिसमें व्यक्ति को ज्ञान , आहरण प्रक्रिया तथा प्रयोग के दौरान गुजरना पड़ता है ।
2. इसमें प्रमुख स्थान शिक्षक का ही है , परन्तु तकनीकी कभी भी शिक्षक का विकल्प नहीं हो सकती । इसमें तकनीकी का प्रयोग शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में , विद्यार्थियों को प्रयोग करने योग्य बनाता है तथा उनके व्यवहार में वाँछित परिवर्तन लाता है ।
3. इसकी उत्पत्ति व्यवहारिक विज्ञान की समस्याओं और अभिप्रेरणा के उपयोग से हुई ।
4. इसका सम्बन्ध अधिगम के प्रभावी उपयोग सामग्री से होता है ।
5. यह मनोविज्ञान के सिद्धांतों पर आधारित होता है । ( उम्र , मानसिक आयु , क्षमता )
6. इसमें विद्यार्थी की आवश्यकतानुसार सामग्री को पुनःसंगठित किया जा सकता है अतः यह उपागम लचीला होता है ।
7. यह शिक्षा तन्त्र में अत्यधिक उपयोगी है । इसमें विद्यार्थी के मनोविज्ञान को समझकर उसके अनुरूप शिक्षा दी जाती है ।
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