क्रियात्मक अनुसंधान इंटर्नशिप डायरी डीएलएड

डीएलएड द्वितीय वर्ष- क्रियात्मक अनुसंधान इंटर्नशिप डायरी


क्रियात्मक अनुसंधान इंटर्नशिप डायरी डीएलएड द्वितीय वर्ष पीडीएफ़ 

क्रियात्मक अनुसंधान इंटर्नशिप डायरी डीएलएड प्रथम वर्ष

 क्रियात्मक अनुसंधान 

( ACTION RESEARCH )

क्रियात्मक अनुसंधान ( ACTION RESEARCH ), क्रियात्मक अनुसंधान का अर्थ, क्रियात्मक अनुसंधान की परिभाषाएँ, क्रियात्मक अनुसंधान की विशेषताएँ, क्रियात्मक अनुसंधान के उद्देश्य, क्रियात्मक अनुसंधान के सोपान / पद / चरण / अंग, क्रियात्मक अनुसंधान के क्षेत्र / समस्याएँ , क्रियात्मक अनुसंधान का महत्व

* अमेरिका देश को क्रियात्मक अनुसंधान का सूत्रपात करने का श्रेय दिया जाता है ।

*  जॉन कोलियर ने सर्वप्रथम सन 1945 में क्रियात्मक अनुसंधान शब्द का प्रयोग द्वितीय विश्व युद्ध में किया । 

कुर्ट लेविन ने सन 1946 ई . में मानव सम्बन्धों को अच्छा करने के लिए सामाजिक विज्ञानों के क्षेत्र में क्रियात्मक         अनुसंधान पर जोर दिया । 

* महत्वपूर्ण बिन्दु -

    1. शिक्षा के क्षेत्र में क्रियात्मक अनुसंधान का विकास सन् 1926 से माना जाता है ।

    2. बकिंघम ने सर्वप्रथम अपनी पुस्तक ' RESEARCH FOR TEACHERS ' में क्रियात्मक अनुसंधान का                    उल्लेख  किया । 

    * शिक्षा जगत में स्थायी रूप से प्रतिष्ठित सन 1953 में अमेरिका के कोलम्बिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर स्टीफन         एम . कोरे ने किया ।

    * स्टीफन एम .कोरे की पुस्तक का नाम ' विद्यालय की कार्य पद्धति में सुधार करने के लिए क्रिया अनुसंधान ' है ।

    * शिक्षा में क्रियात्मक अनुसंधान का जनक ' स्टीफन एम . कोरे ' को माना जाता है ।

   * स्टीफन एम . कोरे ने अपनी पुस्तक ' ACTOPM RESEARC ' के अन्तर्गत अनुसन्धान के दो प्रकार बताऐं- ( 1         ) मौलिक अनुसंधान , ( 2 ) क्रियात्मक अनुसंधान ।

* क्रियात्मक अनुसंधान का अर्थ- 

व्यक्तियों द्वारा विद्यालय से सम्बन्धित अपनी और विद्यालय की समस्याओं का वैज्ञानिक अध्ययन करके अपनी क्रियाओं और विद्यालय की गतिविधियों में सुधार करना ।

* क्रियात्मक अनुसंधान की परिभाषाएँ - 

क्रियात्मक अनुसंधान वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यावहारिक कार्यकर्त्ता वैज्ञानिक ढंग से अपनी समस्याओं का अध्ययन अपने निर्णय और क्रियाओं का निर्देशन , सुधार और मूल्यांकन करते हैं । इससे स्पष्ट है कि क्रियात्मक अनुसंधान वास्तविक क्रिया में सुधार लाने का एक सफल प्रयोग है ।   

  * कोरे- " शिक्षा में क्रिया अनुसंधान , कार्यकर्ताओं द्वारा किया जाने वाला अनुसन्धान है ताकि वे अपने कार्यों में            सुधार कर सकें ।

     * जेन फ्रांसेष- " क्रियात्मक अनुसन्धान व्यक्ति या समूह द्वारा अपने कार्य में आई हुई समस्याओं का समाधान           प्राप्त करने के लिए विधिपूर्वक किया जाने वाला अध्ययन है , इसका उद्देश्य अपने कार्यक्षेत्र की उपलब्धियों             में वृद्धि लाना है । 

      * गुड- " क्रिया - अनुसंधान- शिक्षकों , निरीक्षकों और प्रशासकों द्वारा अपने निर्णयों और कार्यो की गुणात्मक              उन्नति के लिए प्रयोग किया जाने वाला अनुसन्धान है । 

     * मोले- " शिक्षक के समक्ष उपस्थित होने वाली समस्याओं में से अनेक तत्काल ही समाधान चाहती हैं । मौके             पर  किए जाने वाले अनुसंधान , जिनका उद्देश्य तात्कालिक समस्या का समाधान होता है , शिक्षा में                          साधारणतः    क्रिया अनुसंधान के नाम से प्रसिद्ध है । 

      *मुनरो- " क्रियात्मक अनुसंधान समस्याओं के अध्ययन की एक विधि है , जिसमें दिए गए सुझाव आंशिक या             पूर्ण   रूप से तथ्यों पर आधारित हैं । "

* क्रियात्मक अनुसंधान की विशेषताएँ - 

*इससे शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत सभी शिक्षक , अधिकारी , समाज सुधारक • क्रियाशील रहते हैं । शिक्षक संवेदनशील समस्याओं के प्रति जागरूक हो जाते हैं । 

* क्रियात्मक अनुसंधान का ध्यान सम्पूर्ण परिस्थिति पर होता है न कि उसके किसी विशेष अंग पर केन्द्रित रहता         है ।

* क्रियात्मक अनुसंधान का ध्यान केवल एक परिस्थिति पर होता है न कि अनेक परिस्थितियों पर । 

*विद्यालय की वास्तविक परिस्थितियों का सामाजिक परिस्थितियों में किया जाता है ।

* क्रिया - अनुसंधान के परिणामों को कार्यान्वित करने वाले व्यक्ति उसमें शुरू से अन्तिम तक सक्रिय भाग लेते हैं 

*क्रिया - अनुसंधान में विद्यालय के शिक्षक , प्रशासक और निरीक्षक एंव कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के अध्यापक साधारणतः एक - दूसरे के सहयोग से कार्य करते हैं । क्रियात्मक अनुसंधान ( ACTION RESEARCH ), क्रियात्मक अनुसंधान का अर्थ,  क्रियात्मक अनुसंधान की परिभाषाएँक्रियात्मक अनुसंधान की विशेषताएँक्रियात्मक अनुसंधान के उद्देश्यक्रियात्मक अनुसंधान के सोपान / पद / चरण / अंगक्रियात्मक अनुसंधान के क्षेत्र / समस्याएँ क्रियात्मक अनुसंधान का महत्व

* क्रियात्मक अनुसंधान के उद्देश्य 

* विद्यालय के संगठन और व्यवस्था में परिवर्तन करके सुधार लाना । 

* विद्यालय की कार्य - पद्धति में प्रजातान्त्रिक मूल्यों को अधिकतम स्थान देना ।

* विद्यालय की दैनिक समस्याओं का अध्ययन और समाधान करके उसकी प्रगति में योगदान देना । 

* विद्यालय से सम्बन्धित व्यक्तियों को अपनी समस्याओं का वैज्ञानिक अध्ययन करके अपनी विधियों को उत्तम बनाने का अवसर देना ।

* स्कूल के अध्यापकों तथा विद्यार्थियों आदि को उनके दोषों की जानकारी देकर उनकी उन्नति करना । 

* विद्यालय के पाठ्क्रम का वास्तविक परिस्थितियों में अध्ययन करके उसको स्थानीय आवश्यताओं के अनुकूल बनाना ।

 * सम्पूर्ण विद्यालयी प्रक्रियाओं को प्रभावशाली बनाना शिक्षकों की उन्नति तथा एक - दूसरे के साथ मिलकर कार्य करने की योग्यतामें वृद्धि करना ।

* कक्षागत समस्याओं का समाधान करने की योग्यता शिक्षक तथा छात्रों में विकसित करना ।

आवश्यकता

रुढीवादी क्रिया पद्धति में परिवर्तन कर उसे आधुनिक पद्धति में परिवर्तित करने हेतु आज आवश्यकता है । छात्रों की ज्ञान पद्धति व शैक्षिक उपलब्धि को बढ़ाने के उपायों की खोज की आवश्यकता है । 

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* क्रियात्मक अनुसंधान के सोपान / पद / चरण / अंग 

* एण्डरसन के अनुसार - 

1 ) समस्या का ज्ञान - प्रथम चरण 

2 ) कार्य के प्रति प्रस्तावों पर विचार - विमर्श । 

3 ) योजना का चयन व उपकल्पना का निर्माण । 

4 ) तथ्य संग्रह करने की विधियों का निर्माण । 

5 ) योजना का कार्यान्वयन व प्रमाणों का संकलन । 

6 ) तथ्यों पर आधारित निष्कर्ष । 

7 ) दूसरों पर परिणामों की सूचना अन्तिम चरण , यह चरण / सोपान क्रम से हैं ।

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 * क्रियात्मक अनुसंधान के क्षेत्र / समस्याएँ 

1. शिक्षण से सम्बन्धित समस्याएँ । 

2. परीक्षा सम्बन्धी समस्याओं से सम्बन्धित ।

 3. बाल - व्यवहार से सम्बन्धित समस्याएँ । 

4. विद्यालय संगठन तथा प्रशासन सम्बन्धी समस्याएं ।

5. कक्षा शिक्षण सम्बन्धी समस्या , 

6. मूल्यांकन तथा परीक्षा सम्बन्धी समस्या , 

7. शिक्षण के स्कूल परित्याग , 

8. सहगामी प्रवृत्तियाँ को संचालन आदि समस्याएँ ।  क्रियात्मक अनुसंधान ( ACTION RESEARCH ), क्रियात्मक अनुसंधान का अर्थ,  क्रियात्मक अनुसंधान की परिभाषाएँक्रियात्मक अनुसंधान की विशेषताएँक्रियात्मक अनुसंधान के उद्देश्यक्रियात्मक अनुसंधान के सोपान / पद / चरण / अंगक्रियात्मक अनुसंधान के क्षेत्र / समस्याएँ क्रियात्मक अनुसंधान का महत्व

* क्रियात्मक अनुसंधान का महत्व 

* क्रियात्मक अनुसंधान की सहायता से विद्यालय की स्थानीय समस्या का समाधान किया जा सकता है । इस अनुसंधान की कक्षागत समस्याएँ अधिगम की समस्या का समाधान सम्भव है ।

* विद्यालय की कार्यप्रणाली में संशोधन और सुधार करता है ।

* अध्यापकों के मध्य प्रेम , सहयोग और सद्भावना का विकास करता है ।

* स्कूलों में लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना पर जोर देना है ।

* वैज्ञानिक और वस्तुनिष्ठ विधियों का अपनाने के लिए अध्यापकों , प्रबन्धकों , प्रशासको , प्रधानाचार्यों आदि को प्रोत्साहित करता हैं ।

* वैज्ञानिक आविष्कारों के कारण उत्पन्न होने वाली नई परिस्थितियों का सामना करने में सहयोग करता है ।

* विद्यालय के परम्परागत वातावरण को खत्म करने का प्रयास करता है । -छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रयत्न करता है । 

क्रियान्वयन 

अनुसंधानकर्त्ता अपने - अपने तरीके से साधनों के अन्य सहयोग से शोध क्रिया कर सकते है । सुविधा की दृष्टि से निम्न प्रकार प्रारूप तैयार कर शोधकार्य किया जा सकता है— 

मुख पृष्ठ पर

समस्या का शीर्षक , शोधकर्त्ता का नाम , पता , समय ( अवधि ) 

 

अन्दर के पृष्ठों में प्रस्तावना , समस्या का स्पष्टीकरण , क्रियात्मक क्षेत्र की परिकल्पना , शोध की अवधि , परिसीमन , कार्यविधि न्यादर्श , उपकरण , दत्तों का विश्लेषण , निष्कर्ष निर्धारण , सुझाव और क्रियान्वयन । 

क्रियात्मक अनुसंधान इंटर्नशिप डायरी डीएलएड द्वितीय वर्ष पीडीएफ़ 

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क्रियात्मक अनुसंधान ( ACTION RESE

क्रियात्मक अनुसंधान का निष्कर्ष
क्रियात्मक अनुसंधान से संबंधित प्रश्न
Kkr Kishan Regar

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